छत्तीसगढ़ में MBBS छात्रों में नाराजगी: राज्य कोटे में कटौती पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में याचिका
प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्स की भर्ती प्रक्रिया गंभीर संकट में है। छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. हीरा सिंह ने बताया कि पिछले तीन महीनों से जारी काउंसलिंग में नियमों में बार-बार बदलाव और सीट आवंटन में फेरबदल के कारण छात्रों और सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है।
हाई कोर्ट में याचिका दाखिल
स्वास्थ्य विभाग ने अखिल भारतीय मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद राज्य कोटे में बदलाव कर दिया, जिससे छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्रों के लिए सीटों का कोटा घटकर मात्र 25 प्रतिशत रह गया। इस फैसले के विरोध में प्रभावित छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट और बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
अखिल भारतीय कोटा करना चाहिए बहाल
डॉ. हीरा सिंह और डॉ. रेशम सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की अकर्मण्यता और कथनी-करनी में अंतर की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि राज्य सरकार को प्रारंभिक राजपत्र और अन्य राज्यों में प्रचलित नियमों के अनुसार एमबीबीएस छात्रों के लिए 50 प्रतिशत राज्य कोटा और 50 प्रतिशत अखिल भारतीय कोटा बहाल करना चाहिए।
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक यह कदम नहीं उठाया, जिससे स्नातकोत्तर काउंसलिंग प्रक्रिया रुकी हुई है और छात्रों को मार्च तक न्याय मिलने की संभावना भी अनिश्चित है। इस देरी के कारण छात्रों के लिए 'जीरो ईयर' का खतरा उत्पन्न हो गया है।