प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्रालय ने राजस्थान, केरल एवं अन्य राज्यों की परिवहन ई-कार्ड व्यवस्था हवाला देकर, पिछले साल 1 अक्टूबर 2024 से लाइसेंस और पंजीयन कार्ड की छपाई बंद कर दी थी। एक अधिसूचना जारी कर लाइसेंस और वाहन पंजीयन के ई-कार्ड को वैधानिक मान्यता दे दी गई थी।
प्रदेश में परिवहन ई-कार्ड की यह व्यवस्था पूरी तरह सफल रही है। परिवहन आयुक्त कार्यालय ने एक भी ऐसा मामला नहीं बताया, जिसमें लाइसेंस या पंजीयन के ई-कार्ड की वजह से किसी ने शिकायत दर्ज कराई हो। इसके बावजूद परिवहन आयुक्त लाइसेंस और पंजीयन कार्ड छपाई की प्रक्रिया फिर से शुरू करना चाहते हैं।
खुद की जेब भरने, जनता के जेब कर रहे खाली
दरअसल, परिवहन विभाग आम लोगों से हर महीने लाइसेंस और पंजीयन कार्ड के नाम पर लगभग 6 करोड़ रुपये वसूल रहा है। मुख्यमंत्री की मंशानुरूप जनता को कार्ड फीस की राशि में राहत देनी थी। लेकिन परिवहन आयुक्त कार्यालय राजस्व के इस स्रोत को जारी रखना चाहता है।
जितने भी नए लाइसेंस और वाहनों के पंजीयन किए गए हैं, उनमें से किसी को भी कार्ड जारी नहीं किए गए। हालांकि, परिवहन विभाग हर कार्ड के लिए लोगों से 200 रुपये की फीस लेना जारी रखता है। विभाग के अनुसार प्रदेश में हर महीने औसतन 3 लाख लाइसेंस और वाहन पंजीयन होते हैं। 200 रुपये प्रति कार्ड के हिसाब से परिवहन विभाग हर महीने आम लोगों से 6 करोड़ रुपये वसूलता है।
ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था होने के बावजूद, विभाग वसूली के ग्राफ को कम नहीं करना चाहता। यदि जनता को राहत दी गई, तो मासिक राजस्व संग्रह का ग्राफ कम दिखाई देगा, और तब परिवहन आयुक्त को शासन के समक्ष जवाब देना पड़ेगा। इस वजह से आम लोगों को प्रत्येक लाइसेंस और पंजीयन के लिए कुल 274 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। यह अलग बात है कि ई-कार्ड वाले अन्य राज्यों जैसे राजस्थान और केरल ने कार्ड छपाई बंद करने पर जनता को राहत दी है।
परिवहन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी के अनुसार, पिछले साल कार्ड छपाई बंद करने का फैसला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सहमति से लिया गया था। उस समय मुख्यमंत्री को यह बताया गया था कि यदि मप्र में ई-कार्ड व्यवस्था सफल रही, तो अन्य राज्यों की तरह मप्र में भी कार्ड छपाई शुरू की जा सकती है।अधिकारियों ने बताया कि परिवहन आयुक्त कार्यालय फिर से लाइसेंस और पंजीयन कार्ड की छपाई शुरू करना चाहता है। इसके लिए आयुक्त ने एक प्रस्ताव शासन को भेजा है और इसके लिए बाकायदा 30 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
विधानसभा में भी कार्ड को लेकर सवाल उठ चुके हैं। विधायकों ने आपत्ति जताई कि बिना कार्ड के व्यवस्था चल रही है, तो फीस क्यों ली जा रही है। और अगर फीस ली गई, तो फिर कार्ड क्यों नहीं दिए गए। परिवहन आयुक्त कार्यालय ने कहा कि जल्द ही कार्ड छापकर जनता को दिए जाएंगे और कार्ड फीस में जनता को राहत दी जाएगी।