अल-फलाह पर कार्रवाई से तिलमिलाए मदनी का दावा झूठा, कई यूनिवर्सिटी में मुस्लिम कुलपति मौजूद

Update: 2025-11-24 02:55 GMT

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के उस बयान पर राजनीति तेज हो गई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि मुसलमान लंदन और न्यूयॉर्क में तो मेयर बन सकता है, लेकिन भारत में किसी विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बन सकता। मौलाना अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच और उसके कुलपति के खिलाफ कार्रवाई को लेकर तिलमिलाए हुए थे। हालांकि उनका यह बयान तथ्यों से परे और गुमराह करने वाला है।

मदनी ने आगे कहा कि यदि कोई मुसलमान कुलपति बनाने की कोशिश करता है तो उसे सपा नेता आज़म खान की तरह अपने बेटे के साथ जेल जाना पड़ सकता है। उन्होंने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी का भी उदाहरण दिया, जो इस समय ईडी की गिरफ्त में हैं। मौके की तलाश में रहने वाली कांग्रेस और सपा ने मदनी के इस बयान का समर्थन किया है।

इन विश्वविद्यालयों में हैं मुस्लिम कुलपति

मदनी का आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत है। सच यह है कि कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आज भी मुस्लिम कुलपति कार्यरत हैं। उदाहरण के तौर पर

डॉ. नईमा खातून -अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की कुलपति

डॉ. सैय्यद ऐलून हसन- मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के कुलपति

डॉ. मजहर आसिफ- जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति

इसके अलावा भी कई संस्थानों में मुसलमान उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये उदाहरण बताते हैं कि शिक्षा क्षेत्र में मुसलमानों की भूमिका महत्वपूर्ण और स्वीकार्य है।

भाजपा बोली- मुस्लिमों को गुमराह कर रहे मदनी

भाजपा ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के आरोपों को गलत बताया है। पार्टी नेता मोहसिन रज़ा ने रविवार को कहा कि मदनी और उनका परिवार वर्षों से मुसलमानों को गुमराह करता आया है और भेदभाव की राजनीति करके केवल अपना लाभ उठाया है। उनका आरोप है कि मदनी ने मुस्लिम समाज के नाम पर वर्षों तक फायदे लिए, लेकिन समुदाय के लिए कोई सार्थक कार्य नहीं किया।वहीं, भाजपा नेता यासिर जिलानी ने कहा कि भारत मुसलमानों के लिए दुनिया की सबसे सुरक्षित और बेहतर जगह है।

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