बिहार SIR मामला: सुनवाई से पहले EC का सुप्रीम कोर्ट में बयान; ‘ड्राफ्ट लिस्ट से हटे नामों की लिस्ट बनाना जरूरी नहीं’
बिहार SIR पर SC में सुनवाई से पहले EC का हलफनामा, कहा- हटाए गए नामों की अलग लिस्ट जारी करने का नियम नहीं
बिहार में चल रहे सघन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। आयोग ने साफ कहा कि मसौदा मतदाता सूची (ड्राफ्ट लिस्ट) से जिन लोगों के नाम हटाए गए है, उनकी अलग से सूची प्रकाशित करने का कोई नियम नहीं है, इसलिए ऐसी लिस्ट जारी नहीं की जाएगी।
चुनाव आयोग ने हलफनामे में बताया कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और लिखित आदेश के लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा। जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं होंगे, उन्हें इसका कारण बताने वाला आदेश दिया जाएगा और उन्हें दो स्तर पर अपील करने का मौका मिलेगा।
आयोग ने कहा कि वह नियमों के तहत काम कर रहा है और सभी मतदाताओं को पूरा अवसर देगा ताकि कोई भी योग्य व्यक्ति वोटर लिस्ट से वंचित न रहे। साथ ही मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अखबारों में विज्ञापन, प्रेस रिलीज, SMS, और BLO के जरिए घर-घर जाकर जानकारी दी जा रही है।
बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया के तहत अब तक 7.89 करोड़ में से 7.24 करोड़ मतदाताओं ने अपने नाम की पुष्टि की है या फॉर्म जमा किए है। इस काम में 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, लगभग 78 हजार बूथ लेवल अधिकारी (BLO), लाखों स्वयंसेवक और बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रूप से जुड़े हैं। प्रवासी मजदूरों, बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं की सहायता के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है।
विपक्ष का आरोप है कि SIR प्रक्रिया के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं। इस मामले की सुनवाई 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जा चुकी है और अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस पर आपत्ति दर्ज नहीं की है।