डॉ. मोहन भागवत का बड़ा बयान: संघ के बारे में भ्रम न रखें

बेंगलुरु कार्यक्रम में डॉ. मोहन भागवत का बयान. भारत की आत्मा हिंदू संस्कृति बताई. कहा संघ सत्ता नहीं चाहता. देश में कोई अहिंदू नहीं.

Update: 2025-11-09 06:37 GMT

बेंगलुरु। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा-

"भारत में सभी हिंदू है। यहां के सभी मुसलमान और ईसाई भी उन्हीं पूर्वजों के वंशज हैं। शायद वे भूल गए हैं या उन्हें भुला दिया गया है। भारत में कोई अहिंदू नहीं है।"

बेंगलुरु में शनिवार को आयोजित शताब्दी वर्ष की व्याख्यानमाला में संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ को लेकर बनी कई चर्चाएं और धारणाएं गलतफहमी या अनुचित जानकारी पर आधारित हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन या उसके सामाजिक कार्यक्रमों का विश्लेषण करते समय सटीक तथ्यों पर भरोसा करें।

कार्यक्रम का आयोजन कर्नाटक में बनशंकरी स्थित पी ई एस विश्वविद्यालय में हुआ, जिसमें पहले दिन लगभग 1,200 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लिया। व्याख्यान की शुरूआत “वन्दे मातरम्” के साथ हुई। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ एक अद्वितीय संगठन है, जिसकी तुलना किसी अन्य संगठन से नहीं की जा सकती। उन्होंने यह भी बताया कि यह संस्था किसी प्रतिक्रिया-मूलक प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक आवश्यकता के आधार पर अस्तित्व में आई।

बेंगलुरु में ‘100 साल का संघ: नए क्षितिज

उन्होंने यह भी कहा कि “हिंदू राष्ट्र” की अवधारणा पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और हिंदू होने का अर्थ देश के प्रति जिम्मेदारी निभाना है। उन्होंने विविधता में एकता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि संघ का प्रमुख काम समाज को एक सूत्र में बांधना तथा राष्ट्रीय चेतना को सुदृढ़ करना है।

संघ के इतिहास पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि यह संस्था 1925 में स्थापित हुई थी। उन्होंने कहा कि यह किसी बड़ी प्रतिक्रिया की देन नहीं थी, बल्कि उस समय की सामाजिक जरूरतों के अनुरूप संगठन की नींव रखी गई थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संघ के खिलाफ जितनी बातें कही गईं, उनमें से कई सिर्फ शब्दों तक सीमित रहीं। समय के साथ समाज में शाखाओं, स्वयंसेवकों और कार्यक्रमों की प्रभाव-क्षमता सामने आई है और आलोचनाओं में बदलाव का असर दिखा है।

इस व्याख्यानमाला का आयोजन संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ है। इसके तहत देशभर में व्याख्यान-शृंखला, युवा सम्मेलनों और सामाजिक आयोजनों को शामिल किया गया है, जिनका उद्देश्य सामाजिक समरसता और सही जानकारी का प्रसार करना है।

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