RBI ने ब्याज दर घटाई: लोन अब और सस्ते, EMI में राहत- देखें आपका कितना फायदा

RBI ने रेपो रेट 0.25% घटाया, EMI कम होगी और लोन सस्ते मिलेंगे। समझें लोन पर कितना फायदा और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर असर।

Update: 2025-12-05 09:43 GMT

अगर आप घर खरीदने, कार लेने या किसी पुराने लोन की भारी EMI से परेशान थे, तो ये खबर आपके चेहरे पर थोड़ी राहत ला सकती है। क्योंकि RBI ने रेपो रेट 0.25% घटा दिया है। सीधी भाषा में समझें तो लोन लेना सस्ता, और EMI देना और आसान होने वाला है।

 क्या बदला है?

मोनेटरी पॉलिसी कमेटी की 3–5 दिसंबर वाली बैठक में RBI ने रेपो रेट 5.50% से घटाकर 5.25% कर दी। 

अब रेपो रेट का मतलब समझिए

RBI बैंक का बैंक है। बैंक जब पैसों की तंगी में होते हैं, वो RBI से उधार लेते हैं और इस उधार का ब्याज ही रेपो रेट कहलाता है और जब RBI ये दर घटा देता है, तो बैंक को सस्ता पैसा मिलता है। बैंक भी आपकी ब्याज दरें घटा देते हैं। मतलब एक तरह से ये डोमिनोज़ इफेक्ट जैसा है।

EMI पर इसका सीधा फायदा

लोग हमेशा पूछते हैं ठीक है, रेट कम हुआ… लेकिन हमारी EMI कितनी कम होगी? तो ये रहा आसान सा हिसाब

  • ₹20 लाख का 20 साल वाला लोन → EMI लगभग ₹310 कम
  • ₹30 लाख का लोन → EMI में करीब ₹465 की राहत

इतना छोटा लगने वाला बदलाव, पूरे साल का जोड़ें तो बड़ी बचत बन जाता है।

हाउसिंग मार्केट को बूम

ब्याज दरें कम होने का सबसे बड़ा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को होता है। EMI कम तो खरीदने की हिम्मत बढ़ती है। लोग घर लेने के बारे में सोचते हैं और डेवलपर्स को भी थोड़ी राहत मिलती है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम रियल-एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट जैसे सेक्टर्स में खास जान डालेगा।

इस साल चौथी बार घटा रेपो रेट

2024 में RBI धीरे-धीरे रेपो रेट कम करता आया है। एक नजर में देखें तो

  • फरवरी में 6.50% से 6.25%
  • अप्रैल में 6.25% से 6.00%
  • जून में 6.00% से 5.50%
  • दिसंबर में 5.50% से 5.25% चार कटौती में कुल 1.25% की बड़ी राहत मिल चुकी है।

RBI ब्याज दरों से महंगाई कैसे काबू करता है?

यह थोड़ा टेक्निकल लगता है, जब महंगाई तेज होती है, RBI सोचता है लोगों के पास पैसा ज्यादा घूम रहा है, इसे थोड़ा कम करो तो वो रेपो रेट बढ़ा देता है। बैंकों को RBI से महंगा लोन मिलता है  बैंक ग्राहकों को महंगा लोन देते हैं  लोग कम लोन लेते हैं बाज़ार में पैसा कम घूमता है और महंगाई कम होने लगती है। और जब अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही हो तो उल्टा RBI दर घटाता है, बाज़ार में पैसा बढ़ता है और इकोनॉमी तेज होने लगती है।

 RBI की बैठकों का कैलेंडर

मोनेटरी पॉलिसी कमेटी की कुल 6 मीटिंग्स हर साल होती हैं। तीन सदस्य RBI के, तीन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त। इस साल की पहली बैठक अप्रैल में हुई थी, और सालभर ऐसे ही दो-दो महीने पर वित्तीय दुनिया की दिशा तय होती रहती है।

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