अंत के करीब लाल आतंक: मुठभेड़ में अब तक 18 नक्सली ढेर

Update: 2025-12-05 06:19 GMT

बीजापुर जिले के भैरमगढ़-जांगला-नैमेड सरहदी जंगलों में सुरक्षा बलों ने बड़ी कार्रवाई अंजाम दी है। कचीलवार-पोटेनार क्षेत्र में पीएलजीए कंपनी नंबर 02 के शीर्ष कमांडरों सहित कुल 18 ओवादियों को ढेर किया गया। यह मुठभेड़ 3 दिसंबर की सुबह शुरू होकर 4 दिसंबर की सुबह तक चली और लगभग 23 घंटे तक जारी रही।

मारे गए नक्सलियों की पहचान

मारे गए माओवादी हैं:

• रेनू ओयाम

• सन्नू अवलम

• नन्दा मीडियम

• लालू उर्फ़ सीताराम

• राजू पूनेम

• कामेश कवासी

• लक्ष्मी ताती

• बंडी मार्डवी

• सुखी लेकाम

• सोमड़ी कुंजाम

• चंदू कुरसम

• मासे उर्फ़ शांति

• रीना मरकाम

• सोनी मार्डवी

• संगीता पदम

इनमें कुल 9 महिलाएं शामिल हैं।

जवानों की शहादत और घायल

मुठभेड़ में बीजापुर के तीन जवान शहीद हुए

• प्रधान आरक्षक मोहज बड़दी

• आरक्षक दुकारूराम गाँचे

• जवान रमेश सोढ़ी

शहीदों को बीजापुर जिला मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उनके पार्थिव शरीर सम्मानपूर्वक गृह ग्रामों के लिए भेजे गए।

इसके अलावा तीन जवान घायल हुए हैं:

• जनार्दन कोरम

• आरक्षक सोनदेव यादव

• आरक्षक रामलू हेमला

घायलों को हेलीकॉप्टर से रायपुर भेजा गया। सभी की हालत सुरक्षित है।

हथियार और सामग्री बरामद

सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद किए, जिनमें शामिल हैं:

• 1 LMG, 1 AK-47 रायफल

• 4 SLR, 1 INSAS, 303 रायफलें

• 2 BLG लॉन्चर, सिंगल शॉट, 12 बोर ऑटोमैटिक हथियार

• गोला-बारूद, रेडियो सेट, स्कैनर, मल्टीमीटर

• ग्रेनेड, सेफ्टी फ्यूज, वदीं, मेडिकल सामग्री

• माओवादी साहित्य

बरामद सामग्री से पता चलता है कि माओवादी किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे, जिसे सुरक्षा बलों ने विफल किया।

माओवादी संगठन की स्थिति

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र यादव के अनुसार:

• वर्ष 2025 में जिले में 161 माओवादी ढेर, 546 गिरफ्तार, और 560 आत्मसमर्पण हुए।

• जनवरी 2024 से अब तक कुल 219 माओवादी मारे, 1049 गिरफ्तार, और 790 मुख्यधारा में लौटे।

आईजी बस्तर रेंज पी. सुंदरराज ने कहा कि माओवादी संगठन अब कमजोर हो चुका है और उनके पास हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बस्तर अब निर्णायक नक्सल मुक्ति के दौर में प्रवेश कर चुका है, और यह मुठभेड़ संगठन के ढांचे और नेतृत्व पर बड़ी चोट मानी जा रही है, जिससे क्षेत्र में शांति स्थापना के प्रयास मजबूत हुए हैं।

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