वाहनों की माइलेज टेस्टिंग कंपनियां एसी को ऑन करके तय करें

Update: 2019-06-04 06:12 GMT

नई दिल्ली। कारों में ईधन की खपत की सटीक जांच एयरकंडीशनर को चालू रखकर की जाएगी। कंपनियों को भविष्य में बनने वाली कारों एवं अन्य वाहनों को एसी चालू करके ही माइलेज टेस्ट करना होगा और उसी हिसाब से वे माइलेज का दावा कर पाएंगे। इससे वाहन निर्माता कंपनियों पर माइलेज में सुधार लाने के लिए नई तकनीक अपनाने का भी दबाव बढ़ेगा और अच्छे माइलेज से वाहन मालिकों को बचत होगी।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने हाल में अपनी एक रिपोर्ट में इसकी सिफारिश की है, जिस पर सरकार गंभीर है। आने वाले दिनों में यह नियम अधिसूचित किया जा सकता है। अभी कारों या वाहनों में प्रति किलोमीटर ईधन की खपत का जो आंकड़ा दिया जाता है, वह एसी को बंद करके तैयार किया जाता है। जबकि बढ़ती गर्मी के कारण कुछ महीनों को छोड़कर कारों में एसी हमेशा चलते हैं। मंत्रालय का कहना है कि इससे वाहनों में ईंधन की खपत को लेकर सही जानकारी नहीं मिल पाती है। कंपनियां वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का सही आंकड़ा देने से बच जाती है। लिहाजा यह तय किया गया है कि वाहनों की माइलेज टेस्टिंग कंपनियां एसी को ऑन करके करें। सरकार इस व्यवस्था को अनिवार्य बनाएगी। इससे वाहन निर्माता कंपनियों पर माइलेज में सुधार लाने के लिए नई तकनीक अपनाने का भी दबाव बढ़ेगा।

पर्यावरण मंत्रालय ने कूलिंग एक्शन प्लान तैयार किया है, ताकि ऊर्जा की खपत में कमी लाई जा सके। ताकि ईधन और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आए। ऊर्जा में खपत की कमी के तहत घरों में एसी के तापमान को भी फिक्स करने कवायद शुरू की गई थी, लेकिन उद्योग जगत के विरोध के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।

कार क्षेत्र में रेफ्रिजरेंट की मांग 2017-18 में 4000-6000 टन थी जो 2037-38 में 19000-24000 टन तक पहुंच जाएगी। बसों एवं रेलवे में भी रेफ्रिजरेंट की मांग बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वाहनों में एयर कंडीशनर को लेकर नई तकनीकों पर भी काम किए जाने की जरूरत है ताकि ईधन की खपत न्यूनतम हो। विशेषज्ञों का मानना है कि वाहनों के एसी को फ्यूल एफिसिएंट (कम ऊर्जा की खपत) बनाने की दिशा में अपेक्षित काम नहीं हुआ है जबकि इसकी काफी गुंजाइश है और एसी में होने वाली ईधन की खपत को 30-40 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

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