रुपया धड़ाम 90.05 तक टूटा: डॉलर के मुकाबले नया रिकॉर्ड

Update: 2025-12-03 07:30 GMT

 3 दिसंबर 2025 को भारतीय रुपया (INR) डॉलर के मुकाबले गिर कर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर चला गया। एक डॉलर की कीमत अब लगभग 90.05 तक पहुंच गयी।

क्यों गिरा रुपयाः विदेशी निवेशकों का पलायन

पिछले कुछ महीनों से विदेशी निवेशक (FII) लगातार भारतीय शेयर-बाज़ार से पैसा निकाल रहे हैं। इस आउटफ्लो के चलते रुपए पर दबाव बना है, क्योंकि निवेशकों द्वारा बिके शेयरों का पैसा अक्सर डॉलर में फिर जाता है।

ट्रेड डील और निर्यात-आयात असंतुलन

दूसरी ओर,रिजर्व बैंक (RBI) की सीमित महारत के बीच, विदेश के साथ व्यापार, विशेषकर डॉलर-इंडिया ट्रेड डील में अनिश्चितता, निर्यात-आयात असंतुलन (trade deficit) और निर्यात से डॉलर की सही आवक न होना, रुपया गिरने के प्रमुख कारण बने।

डॉलर की मजबूती और आयात-मांग

वैश्विक रूप से अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है और साथ में भारत के आयात तेल, कच्चा माल आदि के लिए डॉलर की मांग बढ़ी है। आयातकों ने जल्दी-जल्दी डॉलर खरीदे, जिससे रुपए की मांग और गिरावट आई।

इसका असर आपके जेब पर

महंगा इम्पोर्ट, महंगी चीजें-  अगर आप मोबाइल, एलैक्ट्रॉनिक्स, गैजेट्स या अन्य आयातित सामान खरीदते हैं अब वो पहले से महंगे होंगे।

विदेश में पढ़ाई या यात्रा- जो छात्र या पेशेवर विदेश जा रहे हैं उनकी फीस, खर्च, रहन-सहन महंगा होगा।

जीवन-यापन महंगा- तेल, पेट्रोल-डीजल, कच्चे माल की कीमतों पर असर पड़ेगा जिससे रोजमर्रा की चीजें महंगी हो सकती हैं।

क्या आगे राहत मिल सकती है?

बाज़ार के जानकार कह रहे हैं कि अगर भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील में स्पष्टता आती है, या एफआईआई निवेशों में फिर से रुचि दिखाते हैं, तो रुपए को कुछ मजबूती मिल सकती है। लेकिन फिलहाल, रुपया 90 के स्तर से नीचे नहीं गिरना भी एक तरह से मनोवैज्ञानिक मजबूती (psychological support) बन गयी है नए निवेशकों और इम्पोर्टर्स की निगाहें अब मार्केट की हर हलचल पर टिकी हैं।

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