सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मौत मामले में झूठे मुआवजों पर जताई चिंता, कहा - ऐसी कल्पना नहीं थी

Update: 2022-03-14 11:11 GMT

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मौत के मामलों में मुआवजे के लिए झूठे दावों पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब हमने मुआवजे का आदेश दिया था, तब कल्पना भी नहीं की थी कि इसके लिए झूठे दावे भी होंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीएजी से ऑडिट कराने का सुझाव दिया। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

सॉलिसीटर जनरल ने 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सभी राज्यों में मुआवजा दिया जा रहा है, लेकिन यह समस्या भी देखने को आ रही है कि डॉक्टर नकली प्रमाणपत्र दे रहे हैं। 4 फरवरी को कोर्ट ने कोरोना से हुई मौत पर सरकारों द्वारा दिए जाने वाली मुआवजा राशि के भुगतान के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे पर राज्य सरकारों की शिथिलता पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्देश जारी किया था कि कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के साथ मुआवजे के सभी विवरण एक हफ्ते के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दें।

कोर्ट ने सभी योग्य पीड़ितों तक मुआवजा पहुंच सके इसके लिए राज्यों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के साथ समन्वय बनाने के लिए एक अधिकारी की नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि मुआवजे का लाभ उन सभी तक पहुंचे जिन्होंने आवेदन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कोरोना से हुई हर मौत के लिए 50 हज़ार रुपये मुआवजे का आदेश दिया था। 4 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने कहा था कि मृतक के परिवार को मिलने वाला यह मुआवजा दूसरी कल्याण योजनाओं से अलग होगा। कोर्ट ने दावे के 30 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया था। ये पैसे राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से दिए जाने का आदेश दिया गया है।

Tags:    

Similar News