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भारत दुनिया में अंगदान करने वालों में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर : डॉ हर्षवर्धन

Update: 2019-11-30 15:01 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने देश में प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की वास्तविक संख्या की कमी के लिए अंगदान के संबंध में समाज में व्याप्त आशंकाओं और मिथकों को जिम्मेदार ठहरते हुए इस दिशा में जागरुकता के लिए समाज के सभी वर्गों का आह्वान किया है।

डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार को विज्ञान भवन में 10वें भारतीय अंगदान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को इसकी सामूहिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस उद्देश्य के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने जरूरतमंदों को नया जीवन देने के लिए लोगों को मरणोपरांत अंगदान करने एवं अन्य को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करने की शपथ दिलाई।

कार्यक्रम में अपनों के अंगदान कर दूसरों के जीवन को रोशन करने वाले कई परिवारों, बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्य, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अस्पताल, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर और ऐसे राज्य जिन्होंने राष्ट्रीय रजिस्ट्री में अधिकतम डेटा अपलोड करने में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री डॉ सी. विजयभास्कर मौजूद थे।

हर्षवर्धन ने ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत दुनिया में अंगदान करने वालों में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। बावजूद इसके प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले लोगों और मृतक दाताओं से प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की वास्तविक संख्या के बीच एक बड़ा अंतर अब भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति मिलियन आबादी (पीएमपी) अंगदान दर 0.65 है और हमें इसमें सुधार करने की आवश्यकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि समाज में व्याप्त आशंकाओं और मिथकों को दूर कर अंगदान के बारे में जागरुकता पैदा करने की जरूरत है ताकि यह एक जन आंदोलन बने और लोग स्वेच्छा से अपने अंगों को दान करने का संकल्प लें। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक नेताओं और सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने वालों से इस आंदोलन की अगुवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अंगदान मन की महानता का प्रतीक है, जो न केवल आपको बल्कि दूसरों को भी खुशी देता है। उन्होंने कहा कि जो दूसरों के लिए जीते हैं, वही सर्वश्रेष्ठ हैं।

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