कोरोना की मार से 3.3 करोड़ लोगों की जा सकती है नौकरी

Update: 2020-04-06 04:24 GMT

नई दिल्ली। भारत में सबसे अधिक रोजगार देने वाले सूक्ष्म, लघु और मझोले (एमएसएमई) उद्योग कोरोना की मार से खुद संकट में घिर गए हैं। लॉकडाउन के चलते यह अभी बंद हैं, लेकिन लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो करीब 1.7 करोड़ छोटे उद्योग हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं क्योंकि इनके पास पूंजी का अभाव है। ग्लोबल अलायंस फॉर मास इंटरप्रिन्योरशिप (जीएएमई) के चेयरमैन रवि वेंकटेशन का कहना है अगर देश में लॉकडाउन चार से आठ हफ्तों बढ़ता है, तो कुल एमएसएमई की 25 फीसदी यानी करीब 1.7 करोड़ एमएसएमई बंद हो जाएंगी। देश में 6.9 करोड़ एमएसएमई हैं।

इंफोसिस के को-चेयरमैन और बैंक ऑफ बड़ौदा के चेयरमैन रहे वेंकटेशन ने ऑल इंडियन मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के हवाले से कहा कि अगर कोरोना संकट चार से आठ माह तक बढ़ता है, तो देश की 19 से 43 फीसदी एमएसएमई हमेशा के लिए भारत के नक्शे गायब हो जाएंगी।

वेंकटेशन का कहना है कि एमएसएमई के हर क्षेत्र में छंटनी हो सकती है। पांच करोड़ लोगों को नौकरी देने वाले होटल उद्योग में करीब 1.2 करोड़ नौकरी जा सकती हैं। वहीं 4.6 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले खुदरा क्षेत्र से 1.1 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती एमएसएमई से अप्रत्यक्ष रूप से या अस्थाई रूप से जुड़े लोगों के लिए है। दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बता दें कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तकरीबन 70 हजार लोगों की जान ले ली है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक दुनियाभर में 69,419 लोगों की मौत वायरस के चलते हुई है। इसमें सबसे अधिक इटली में 15887, स्पेन में 12641 मौतें हुई हैं। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक रविवार शाम 6 बजे तक देश में कुल संक्रमितों की संख्या 3 हजार 577 है। इनमें से 274 ठीक हो चुके हैं, जबकि 83 मरीजों की मौत हुई है।

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