रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक नया और थोड़ा चौंकाने वाला फैसला सामने आया है। स्कूलों के बाद अब कॉलेज और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों को भी अपने-अपने कैंपस में आवारा कुत्तों की निगरानी करनी होगी। उच्च शिक्षा विभाग ने इसे लेकर सभी शासकीय और अशासकीय उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए 13 बिंदुओं के विस्तृत निर्देश जारी कर दिए हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, यह कदम सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले के निर्देशों के अनुपालन में उठाया गया है। हाल के वर्षों में शैक्षणिक परिसरों में आवारा कुत्तों से जुड़ी घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हैं। इसी को देखते हुए विभाग ने जिम्मेदारी तय करने का निर्णय लिया है।
हर कॉलेज में एक प्रोफेसर होंगे नोडल अधिकारी
नए निर्देशों के तहत हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यही अधिकारी कैंपस में आवारा कुत्तों की स्थिति पर नजर रखेंगे और जरूरत पड़ने पर नगर निगम या नगर पालिका से समन्वय करेंगे, ताकि समय रहते नियंत्रण के कदम उठाए जा सकें।नोडल अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी अप्रिय घटना की सूचना तुरंत संबंधित विभाग और स्थानीय प्रशासन तक पहुंचे।
डिस्प्ले बोर्ड पर दिखेगा पूरा विवरण
उच्च शिक्षा विभाग ने साफ निर्देश दिए हैं कि हर संस्थान में एक डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए, जिस पर-नोडल अधिकारी का नाम, मोबाइल नंबर, संबंधित हेल्पलाइन की जानकारी, स्पष्ट रूप से दर्ज हो। इतना ही नहीं, इस डिस्प्ले बोर्ड की फोटो नोडल अधिकारी को वॉट्सऐप के जरिए उच्च शिक्षा संचालनालय भेजनी होगी। आदेश के पालन की निगरानी के लिए विभाग ने एक अलग मोबाइल नंबर भी जारी किया है।
13 बिंदुओं में क्या-क्या कहा गया है?
उच्च शिक्षा विभाग ने यह भी अनिवार्य किया है कि नोडल अधिकारी का नाम, मोबाइल नंबर और हेल्पलाइन से संबंधित जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर प्रमुखता से लगाई जाए। साथ ही लगाए गए डिस्प्ले बोर्ड की फोटो नोडल अधिकारी द्वारा उच्च शिक्षा संचालनालय को व्हाट्सऐप के माध्यम से भेजना अनिवार्य होगा। इसके लिए विभाग ने अलग से एक मोबाइल नंबर भी जारी किया है, ताकि आदेश के पालन की निगरानी की जा सके। नोडल अधिकारी नगर निगम या नगर पालिका से समन्वय कर आवारा कुत्तों की निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित करेंगे।