शिवराज जी : बी-6 श्यामला हिल्स से बी-8,74 बंगले तक...

प्रसंगवश - अतुल तारे

Update: 2023-12-13 09:47 GMT

शिवराज सिंह से मिली लाड़ली बहना 

आने वाले कुछ घंटों में जब पूर्व मुख्यमंत्री के नाते शिवराज सिंह 6 श्यामला हिल्स से बी-8, 74 बँगले के लिए निकलेंगे तो यह उनके लिए प्रस्थान बिंदु होगा, या यह उनके लिये पुन: एक आरंभ बिंदु, इस पर देश की और प्रदेश की राजनीति की निगाहें होंगी। स्वयं शिवराज सिंह भी इस समय गहरे मंथन की प्रक्रिया में होंगे। लेकिन यह समझना होगा कि पहली बार मुख्यमंत्री बन कर एक दुबले पतले परिपक्व होते (राजनीतिक लिहाज़ से) युवा ने प्रदेश की कमान संभाली थी तब और आज यह पंक्ति लिखे जाते समय जब वह अपने मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच की अवधि के संधि काल में आखिरी पत्रकार वार्ता कर रहे थे, दोनों शिवराज में जमीन आसमान का स्वाभाविक अंतर आ गया है। और साथ ही यह भी रेखांकित करना होगा कि मध्यप्रदेश के हाल ही में हुए चुनाव से ठीक पहले और परिणाम के बाद के शिवराज में भी एक बदलाव है। परिवर्तन अक्सर कष्टकारी होता है। पर सामान्यत: यह अच्छे के लिए ही होता है।

नि:संदेह शिवराज सिंह ने जब प्रदेश का नेतृत्व संभाला था, उसके ठीक पहले सुश्री उमा भारती का आक्रामक नेतृत्व था और उसके बाद बाबूलाल गौर का परिपक्व प्रशासन और पीछे जाएं तो कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के गड्ढे थे। अंधकार था। ऑपरेशन दलित के चलते एक घृणा का वातावरण था। मात्र दो साल में दो मुख्यमंत्री भाजपा दे चुकी थी और इस वातावरण में शिवराज सिंह से किसी को ख़ास उम्मीद नहीं थी। पर यही भाजपा की ख़ूबसूरती है। आज जब वह पूर्व मुख्यमंत्री हो रहे हैं तो भाव यह है कि उन्हें और रहना चाहिए था। यह जनादेश उनके परिश्रम का फल है। लाड़ली बहनाओं का इसमें दुलार है। वह किसी के मामा हैं, तो किसी के भाई। यह कहने वाला भी प्रदेश में एक बड़ा वर्ग है। भाजपा नेतृत्व का संस्कार नए नेतृत्व को गढ़ना ही है और आज शिवराज, नरेंद्र की जोड़ी की जब चर्चा होती है तो संगठन शिल्पी स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे सहज याद आते हैं। आज प्रदेश में और केंद्र में जो नेतृत्व खड़ा हुआ उसमें स्वर्गीय सुन्दरलाल पटवा, कैलाश जोशी और लक्खीराम अग्रवाल के वो हाथ कौन भूल सकता है जिन्होंने इन सबको उँगली पकड़ कर रपटीले, फिसलन भरे और घुमावदार रास्ते पर चलना सिखाया। यह भाजपा का संस्कार भी है और कार्यकर्ता का अपना पुरुषार्थ भी कि वह फीनिक्स पक्षी की तरह अपनी ही राख से भी खड़ा हो जाए।

अब बात आज के प्रसंग की

यह सच है कि एक स्वर था और वह यह कि शिवराज सिंह को ही नेतृत्व देना था। यह ग़लत भी नहीं है। लोकसभा तक वह रहें, यह भी एक इच्छा प्रदेश में कहीं कहीं थी। फिर भी अगर भाजपा ने यह निर्णय लिया है तो यह नए नेतृत्व को गढ़ने का एक सोचा समझा प्रयास भी है और एक रणनीतिक कदम भी। केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्र की राजनीति में अपना आधार और पहचान बना चुके सांसदों को प्रदेश भेज दिया है। ज़ाहिर है, नई संसद 2024 में जब कार्य प्रारंभ करे तो नई ऊर्जा हो यह संकेत है। वरिष्ठता का आदर और नये को अवसर यह सप्रयास हो, योजना से हो तो अच्छा ही होता है। अन्यथा भविष्य, वर्तमान से स्थान छीनता है। इस नाते प्रदेश में भी नया नेतृत्व आए, यह विचार किया ही गया होगा। प्रशंसा करनी होगी शिवराज सिंह की कि उनका एक स्वाभाविक अधिकार सिद्ध होने के बावजूद और वह संभवत: नहीं बनाये जाएँगे यह समझ जाने के बावजूद उन्होंने अपना कार्यकर्ता भाव अक्षुण्ण रखा। और न केवल रखा बल्कि परिश्रम की पराकाष्ठा की।

वह यह संदेश देने में सफल रहे कि संपूर्ण प्रदेश में उनकी स्वीकार्यता है और सरकार के खिलाफ भी और ख़ासकर उनके खिलाफ नाराज़गी वैसी नहीं है, जैसी प्रचारित है। बल्कि भारतीय राजनीति का यह दिखने में 'अनाकर्षक' लगने वाला (यह विशेषण स्वयं शिवराज सिंह का है) चेहरा, ऐसा व्यक्तित्व है जिसे जनता दिल से प्यार करती है, उसे छूना चाहती है। संवेदना का यह वैशिष्ट्य निश्चित रूप से शिवराज सिंह को एक अलग पंक्ति में खड़ा करता है। आज जब वह पूर्व मुख्यमंत्री होने की दिशा में हैं, उनके कार्यकाल का मूल्यांकन प्रदेश और देश की राजनीति भविष्य में करेगी ही। पर यह भी सच है कि उनके खाते में पार्टी को एक बार छोड़ कर, लगातार सफलता दिलाना भी दर्ज है। कृषि सहित कई उपलब्धियां हैं जो प्रदेश को एक विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा करतीं हैं। ओमकारेश्वर का अद्वैत धाम, महाकाल लोक, सिंहस्थ में विचार कुंभ आदि उनके कार्यकाल को एक आध्यात्मिक आभा भी देते हैं। इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह शिवराज सिंह का 'प्रस्थान बिंदु' है, वास्तव में यह एक नया 'आरंभ बिंदु' है। और जब स्वर यह हो कि आपको रहना चाहिए, आप परिदृश्य से बाहर हो रहे हैं, और पूरी शालीनता से, विनम्रतापूर्वक तो यह उनके आने वाले कल के लिए शुभ संकेत है। उनके निवास का नया पता बेशक बी-8, 74 बंगला है, पर यह उनकी पहचान नहीं। भाजपा नेतृत्व उनकी ऊर्जा और क्षमता का उपयोग करेगा ही और वह भी एक कार्यकर्ता की भाँति एक लंबी लकीर फिर खींचेंगे। शुभकामनाएं।

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