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सरोजनीनगर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला: भाजपा, सपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आये राजेश्वर सिंह की छवि काफी इमानदार है। राजेश्वर सिंह का कार्यक्षेत्र में लखनऊ रहा है।

Update: 2022-02-07 16:26 GMT

लखनऊ (संतोष कुमार सिंह)। सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय चुनाव होने के आसार दिख रहे हैं। यहां का ग्रामीण क्षेत्र ठाकुर बाहुल्य है। भाजपा ने ठाकुर जाति की स्वाती सिंह का टिकट काटकर ठाकुर जाति के ही ईडी के ज्वाइंट डॉयरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। यह कहना गतल नहीं होगा कि भारतीय जनता पार्टी की यह परंपरागत सीट नहीं है। मोदी लहर में पहली बार स्वाती सिंह ने यहां से भाजपा का कमल खिलाया था। हालांकि ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आये राजेश्वर सिंह की छवि काफी इमानदार है। राजेश्वर सिंह का कार्यक्षेत्र में लखनऊ रहा है। और स्थानीय लोगों में उनकी पैठ लगातार मजबूत होती जा रही है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ सिविल सेवा की शुरुआत करने वाले राजेश्व सिंह मूल से सुल्तानपुर जिले पखरौली गांव के रहने वाले हैं। बीटेक की पढ़ाई कर चुके राजेश्वर सिंह ने 10 वर्षों तक यूपी पुलिस के साथ काम किया। वे पुलिस, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय विषय में पीएचडी की है। 1996 बैच के यूपी के पीपीएस अधिकारी रहे राजेश्वर सिंह की शादी आईपीएस अधिकारी लक्ष्मी सिंह से हुई है, और वह वर्तमान में लखनऊ आईजी की पोस्ट पर तैनात हैं। राजेश्वर सिंह 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले, कोयला घोटाले, कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम जैसे केस की जांच में शामिल रहे हैं। भाजपा से टिकट मिलने के बाद राजेश्वर राजनीति में काफी सक्रीय दिख रहे हैं। टिकट कटने के बावजूद राज्यमंत्री स्वाती सिंह ने राजेश्वर सिंह को सदन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है। भाजपा के बड़े नेता भी राजेश्वर सिंह के नामांकन में साथ खड़े थे। इसके अलावा उन्होंने इस बीच महराज जी से भी मुलाकात कर उनसे अपने घनिष्ठ संबंधों को जनता के बीच उजागर किया है।

वहीं कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रूद्र दमन सिंह (बबलू सिंह) सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र के पिपरसंड गांव के निवासी हैं और वर्तमान में गहरू में रहते हैं। ये दोनों गांव इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। रूद्र दमन सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। उनके बाबा स्व. गुरधन सिंह 1952 से 1989 तक लगातार पिपरसण्ड गांव के प्रधान रहे। पिता स्व. देवेन्द्र पाल सिंह ने भी 22 साल तक गहरू गांव की प्रधानी सम्भाली। पत्नी किरन सिंह चार बार से जिला पंचायत सदस्य हैं। वर्ष 2005 में वार्ड नंबर 15 से किरन सिंह 5200 मतों से विजयी रहीं। वहीं 2010 में वार्ड नंबर 16 से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 12100 मतों से हराया था। इसी प्रकार वर्ष 2015 में वार्ड नंबर 18 से किरन 6300 मतों से और वर्ष 2021 में वार्ड नंबर 17 से 3800 वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदियों को पटखनी देकर जनता के बीच अपनी अलग पहचान बनायीं हैं। वहीं रूद्र दमन सिंह के भाई अमित सिंह भी पिपरसण्ड 15 सालों से गांव के प्रधान है। रूद्र दमन सिंह स्वयं 2012 व 2017 में सरोजनीनगर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में ताल ठोक चुके हैं। वर्ष 2012 में वे 41803 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे जबकि वर्ष 2017 में 21000 वोट पाकर वे चौथे स्थान पर रहे। वर्ष 2005 से रुद्र दमन सिंह की राजनीति में सक्रिय भूमिका रही है। रूद्र दमन सिंह को इस बार कांग्रेस ने टिकट देकर ठाकूर जाति के परंपरागत भाजपा वोटरों में सेंधमारी की है।

समाजवादी पार्टी ने इस सीट से ब्राहम्ण चेहरा को उतार कर सियासी पारा बढ़ा दिया है। सपा प्रत्याशी अभिषेक मिश्रा राजनीति में आने से पहले आईआईएम अहमदाबाद में फैकल्टी थे। प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा ने स्कॉटलैंड की ग्लास्गो यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में एमएससी की डिग्री हासिल की है। उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी और एमफिल की डिग्री ली है। मिश्रा रक्षा और गृह मंत्रालय में कंसल्टेंट के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे नए आईएएस और आईपीएस अफसरों के ट्रेनिंग प्रोग्राम से भी जुड़े रहे हैं। अभिषेक मिश्रा की राजनीति में इंट्री 2012 के विधानसभा चुनाव में हुई थी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के दोस्ताना ताल्लुक रखने वाले अभिषेक मिश्रा को सपा ने 2012 में लखनऊ की उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े रहे अपने प्रतिद्वंदी डॉ नीरज बोरा को हराया था। जीतकर वे सपा सरकार में मंत्री भी बने थे। 2017 में भी इसी सीट से वे चुनाव मैदान में थे। लेकिन नीरज बोरा ने भाजपा से चुनाव लड़ कर उन्हे हरा दिया था। पिछले लोक सभा चुनाव में अभिषेक लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। सपा में अभिषेक मिश्रा का कद अमर सिंह से जोड़कर देखा जाता है। कॉरपोरेट घरानों में अभिषेक की अच्छी पैठ मानी जाती है।

बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे मो. जलीस खान का परिवार भी सियासत के गलियारों से जुड़ा रहा है। ठाकूरों का वोट जहां दो गुटों में बंटता नजर आ रहा है वहीं मो. जलीस खान मुस्लिम वोट को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहेंगे। मुस्लिम वोटर यदि सपा के साथ खड़ा नहीं रहा तो अभिषेक मिश्रा की भी मुसिबतें बढ़ सकती हैं। कुल मिलाकर सरोजनीनगर विधानसभा की सीट भाजपा, सपा, और कांग्रेस की त्रिकोणीय लड़ाई में उलझी नजर आ रही है।

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