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UP Election 2022: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजेश्वर सिंह पर भाजपा ने लगाया दांव, VRS मिलने के बाद सरोजनीनगर से मिला टिकट

डॉ. राजेश्वर सिंह बेहद दबंग और ईमानदार छवि के अफसर रहे है। वह 1996 में पीपीएस अधिकारी चुने गए थे।

Update: 2022-02-01 18:17 GMT

लखनऊ (अतुल मोहन सिंह)। पूर्व पुलिस अधिकारी डॉ. राजेश्वर सिंह पर भाजपा ने बड़ा दांव लगाया है। भाजपा ने उनको सरोजनीनगर से टिकट दिया है। वीआरएस मंजूर होने के बाद डॉ. राजेश्वर सिंह ने मंगलवार को ही ईडी के निदेशक एवं अन्य सहयोगियों से विदाई ली है। हालांकि अभी उन्होंने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। उम्मीद है कि बुधवार को वह भाजपा की औपचारिक सदस्यता लेंगे। भाजपा ने सुल्तानपुर जनपद के डॉ. राजेश्वर सिंह को लखनऊ की सरोजनीनगर से मैदान में उतायर दिया है। यहां से विधायक और राज्य मंत्री स्वाती सिंह का टिकट काटकर पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है।

उत्तर प्रदेश में प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी राजेश्वर सिंह प्रतिनियुक्ति पर करीब 14 वर्ष प्रवर्तन निदेशालय में विभिन्न पदों पर रहे और संयुक्त निदेशक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति ली। अभी उनकी सेवा का 11 वर्ष का कार्यकाल बाकी था। असीम अरुण की तरह ही अब डॉ. राजेश्वर सिंह भी भाजपा की सेवा करेंगे। तेज तर्रार और ईमानदार अफसर की राजेश्वर की छवि दबंग और काम के प्रति जुनूनी अधिकारी की रही है। डॉ. राजेश्वर सिंह ने कई बड़े घोटाले खोले और इस दौरान करीब चार हजार करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त कराई। राजेश्वर सिंह का 11 वर्ष कार्यकाल शेष था। वीआरएस लेने की सूचना उन्होंने खुद ही सोशल मीडिया पर दी। अपने संदेश में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है। वीआरएस मंजूर होने के बाद डॉ. राजेश्वर सिंह ने मंगलवार को ही ईडी के निदेशक एवं अन्य सहयोगियों से विदाई ली है। हालांकि अभी तक उन्होंने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। उम्मीद है कि बुधवार को वह भाजपा कार्यालय जाकर पार्टी की औपचारिक सदस्यता ले लेंगे। भाजपा ने सुल्तानपुर जनपद के डॉ. राजेश्वर सिंह को लखनऊ की सरोजनीनगर से मैदान में उतायर दिया है। यहां से विधायक और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह का टिकट काटकर पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है।

दबंग और ईमानदार छवि के अफसर रहे डॉ. राजेश्वर सिंह

डॉ. राजेश्वर सिंह बेहद दबंग और ईमानदार छवि के अफसर रहे है। वह 1996 में पीपीएस अधिकारी चुने गए थे। सीओ के पद पर रहते उनकी छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की बनी। लखनऊ के बाद प्रयागराज में उन्होंने अपराधियों पर नकेल डाली थी। इसके बाद 2009 में वह ईडी में चले गए। उनके पिता पूर्व आईपीएस अधिकारी थे जबकि बहनोई भी आईपीएस अफसर हैं। उनकी पत्नी लक्ष्मी सिंह भी आईपीएस अधिकारी हैं और लखनऊ रेंज की आईजी हैं। बहनोई राजीव कृष्ण एडीजी आगरा जोन हैं। एक और बहनोई वाईपी सिंह आईपीएस रहे, उन्होंने भी वीआरएस लिया था। एक भाई और एक बहन आयकर में अधिकारी हैं। बहन आभा सिंह पोस्टल सर्विस की अधिकारी रही हैं।

कई अहम घोटाले की जांच की

पीपीएस अधिकारी रहे डॉ. राजेश्वर सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर अपने सेवाकाल का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि 24 वर्ष का कारवां एक पड़ाव पर आज रुका है। दस वर्ष यूपी पुलिस में नौकरी करने और 14 वर्ष ईडी में सेवा देने के बाद अब संन्यास ले रहा हूं। वह वर्ष 2007 में ईडी में प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। वहां उन्होंने कई अहम घोटाले की जांच की। इसमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरटेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट घोटाला आदि शामिल है। उन्होंने बताया कि ईडी में तैनाती के दौरान घोटालेबाज नेताओं, नौकरशाहों, बाहुबलियों और माफिया से उनकी अवैध कमाई से अर्जित 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों को जब्त किया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईडी में हुआ था स्थायीकरण

डॉ. राजेश्वर सिंह पांच साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर प्रवर्तन निदेशालय गए थे। पहले उन्हें दो साल का विस्तार दिया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईडी में ही स्थायी हो गए। वर्तमान में वह बतौर संयुक्त निदेशक लखनऊ जोन का काम देख रहे थे। उन्होंने अपने संदेश में भाजपा के शीर्ष नेताओं का जिक्र करते हुए लिखा है कि भारत को विश्व शक्ति और विश्व गुरु बनाने का जो संकल्प लिया है, उसका मैं भी भागीदार बनना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहता हूं।

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