लखनऊ: कहीं महिलाएं बना रहीं साबुन, कहीं किसान उगा रहे हरा सोना

Update: 2025-07-15 13:18 GMT

लखनऊ। सभी आकांक्षी जनपदों में अपनाये गये नवाचार और अभिनव प्रयासों ने विकास की नई तस्वीर पेश की है। इन जनपदों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और आर्थिक क्षेत्र में किए गए विकास कार्य न केवल इन जनपदवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाया है बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रहे हैं।

इसी क्रम में आकांक्षी सोनभद्र निपुण डैशबोर्ड और स्वयं सहायता समूह ने हैंडमेड गोट मिल्क सोप के निर्माण और बिक्री से शिक्षा और सशक्तिकरण किया है। तो वहीं चंदौली में काला धान की ऑर्गेनिक फार्मिंग और सिकंदरपुर चकिया के सीएचओ का बनाया अंतरा ट्रैकिंग बैग, जनसंख्या नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

आकांक्षी सोनभद्र में निपुण डैशबोर्ड ला रहा है शिक्षा क्षेत्र में क्रांति : सोनभद्र ने बुनियादी शिक्षा क्षेत्र में निपुण डैशबोर्ड, डिजिटल नवाचार अपना कर अहम कदम उठाया है। निपुण डैशबोर्ड ने प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाई है।

इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए शिक्षकों और छात्रों की प्रगति, उनकी उपस्थिति और प्रतिभागिता पर नजर रखी जाती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। डैशबोर्ड के उपयोग से डेटा आधारित निर्णय लेना आसान हुआ, जिसके परिणामस्वरूप स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बेहतर हुआ है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए 50 स्वयं सहायता समूह, हैंडमेड गोट मिल्क सोप का निर्माण और बिक्री कर रहा है।

इस पहल ने न केवल उनकी आय में वृद्धि की है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं में आत्मविश्वास और उद्यमिता की भावना को भी बढ़ावा दिया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए 'मेरा प्लास्टिक मेरी जिम्मेदारी' अभियान के तहत प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर जोर दिया जा रहा है। क्लस्टर आवास योजना के तहत आदिवासी समुदायों को गुणवत्तापूर्ण आवास और बुनियादी सुविधाएं प्रदान की गई हैं, जिससे उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आया है।

चंदौली में काला धान की आर्गेनिक फार्मिंग, विदेशों में बढ़ी मांग : आकांक्षी चंदौली में अपनाये गये नवाचारों और विकास के कार्यों ने जनपद को देश के 112 आकांक्षी जनपदों में छठा स्थान प्रदान किया है। यह उपलब्धि जिले के समग्र विकास और सामुदायिक सहभागिता का परिणाम है। चंदौली में काला धान की आर्गेनिक फार्मिंग ने न केवल किसानों की आय बढ़ाई है। इसे रसायन-मुक्त उत्पाद के रूप में स्थापित किया है। चंदौली के काला धान को भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआईआरआर) ने प्रमाणित किया है। इस चावल की मांग देश-विदेश में बढ़ रही है, जिससे किसानों को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ हो रहा है।

वहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में, सिकंदरपुर चकिया के सीएचसी से डिजाइन किया अंतरा ट्रैकिंग बैग जनसंख्या नियंत्रण में योगदान दे रहा है। यह बैग हार्मोनल गर्भनिरोधक अंतरा इंजेक्शन के उपयोग को ट्रैक करने में मदद करता है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावशालिता बढ़ी है।

जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को भी प्रभावी रूप से अपनाना संभव होता है। इन जनपदों में अपनाये गये नवाचार की सफलता, आकांक्षी जनपदों में नीति आयोग के समावेशी और सतत विकास की अवधारणा को संभव बना रही है। 

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