'भारत सेवा की भूमि, यहां की पहचान है त्याग और परमार्थ': 5वीं श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा के कार्यकर्ता सम्मान समारोह में बोले सरकार्यवाह

Update: 2025-04-22 09:05 GMT

लखनऊ। यह बड़े ही सौभाग्य की बात है कि वर्ष 2019 से सुदूर क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों की स्वास्थ्य सेवा नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन, अवध प्रांत एवं गोरक्षा प्रांत और श्री गुरु गोरखनाथ सेवा न्यास से जुड़े चिकित्सक और स्वयंसेवक कर रहे हैं। ऐसे सभी कार्यकर्ता जो गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा के माध्यम से जनसेवा का महान कार्य कर रहे हैं, वे सभी वंदनीय हैं। उक्त उद्गार राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने व्यक्त किए।

वह लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल के ऑडिटोरियम में श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा-5.0 के कार्यकर्ता सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। सरकार्यवाह जी ने 'मानव सेवा-माधव सेवा, जनसेवा-जनार्दन सेवा' के मूल मंत्र का अर्थ बताया।

मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले जी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्री धन्वंतरि, भारत माता, गुरु गोरखनाथ और स्वामी विवेकानंद के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन जी, प्रांत सरसंघचालक सरदार स्वर्ण सिंह जी, पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, अवध प्रांत प्रचारक कौशल जी, क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख अभय जी, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र जी, अवध सह प्रान्त प्रचारक संजय जी, प्रचारक अशोक केडिया जी, वीरेंद्र सिंह जी, गंगा सिंह जी, डॉ.उमेश जी, प्रशांत भाटिया, योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, असीम अरुण, दयाशंकर सिंह, सतीश चंद्र शर्मा, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजय राय एवं अनूप गुप्ता एवं पूर्व सांसद डॉ.अशोक वाजपेयी मौजूद रहे। श्री गुरु गोरखनाथ सेवा न्यास के अध्यक्ष, कल्याण सिंह सुपरस्पेशियलिटी कैंसर संस्थान के निदेशक एवं एनएमओ अवध प्रांत के अध्यक्ष प्रो.एमएलबी भट्ट ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार ज्ञापन श्री गुरु गोरखनाथ सेवा न्यास के महासचिव एवं नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन के अखिल भारतीय बौद्धिक समन्वयक डॉ.भूपेंद्र सिंह ने किया।

27 कार्यकर्ताओं को सरकार्यवाह और मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा-5.0 से जुड़े 27 प्रमुख कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। इसमें शांतनु सिंह, अवधेश वर्मा, मधुलिका सिंह, संदीप बंसल, जतिन वर्मा, अभिनव भार्गव, विवेक वर्मा, आनंद शेखर सिंह, मथुरेश श्रीवास्तव, अखिलेन्द्र दुबे, श्लोक सिंह, डॉ.सौरभ गर्ग, शरद जैन, सुनील कालरा, डॉ.मनीष सिंह, योगेश पटेल, यशवर्धन अग्रवाल, अक्षय खोसला, डॉ.आरके ठुकराल, रजनीश जायसवाल, सुरेश अग्रवाल, गिरीश, डॉ.रोहित प्रसाद, विनीत मिश्रा, बीबीडी ग्रुप के चेयरमैन विराज सागर दास, डॉ.एपी सिंह एवं एसआर ग्रुप के वाइस प्रेजिडेंट पीयूष सिंह चौहान शामिल हैं।


डॉ.भूपेंद्र सिंह ने 'स्वदेश' को बताया कि केजीएमयू की कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद के मार्गदर्शन, कल्याण सिंह सुपरस्पेशियलिटी कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो.एमएलबी भट्ट एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो.सी.एम. सिंह के संरक्षण में पांचवीं स्वास्थ्य सेवा यात्रा फरवरी में आरम्भ हुई थी। इस दौरान यात्रा प्रभारी डॉ.सुमित रूंगटा, यात्रा संयोजक डॉ.भूपेंद्र सिंह, यात्रा के सह संयोजक डॉ.संजय भट्ट, एनएमओ यूपी के अध्यक्ष डॉ.विजय कुमार, एनएमओ अवध प्रांत के अध्यक्ष डॉ.संदीप तिवारी एवं सचिव डॉ.शिवम मिश्रा का सराहनीय सहयोग मिला।

'सम्मान कार्यक्रम नहीं, कृतज्ञता का कार्यक्रम है' : सरकार्यवाह जी ने कहा कि भारत की संस्कृति, ज्ञान, सभ्यता, इतिहास आदि पर गर्व किया जाता है, पर भारत तो सेवा की भूमि है। यहां की पहचान सेवा और त्याग और परमार्थ से है। प्रार्थना करने वाले मुख से कहीं अधिक महत्वपूर्ण सेवा करने वाले हाथ होते हैं। इस सेवा कार्य में जुटे डॉक्‍टर्स ऐसे ही अभिनंदनीय कार्य को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकास की मुख्यधारा से पिछड़े लोगों के प्रति कृतज्ञता दिखाएं। इन डॉक्टर्स से प्रेरणा लेते हुए सभी सबको कुछ न कुछ सेवा का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभावग्रस्त क्षेत्रों में जाकर सेवा करना वंदनीय कार्य है। अत: यह सम्मान कार्यक्रम नहीं, कृतज्ञता का कार्यक्रम कहा जाना चाहिये।

'सेवा के लिये युवा मेडिकोज हो रहे प्रोत्साहित' : सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि वंचित लोगों के लिये संवेदना और संकल्प के साथ उसको साकार करने का वाले ही 'मानव सेवा-माधव सेवा' के मंत्र को जीवंत कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि सामाजिक संस्‍थानों और सरकार एवं शासन के संयुक्त प्रयास के कारण ही इस सेवा के लाभार्थियों की संख्या हर वर्ष बढ़ती गयी। चिकित्सा के क्षेत्र में लोगों के दुख-दर्द को दूर करने वाले ऐसे डॉक्टरों को नमन है। नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) अपने कार्यों से डॉक्टर और चिकित्सा के विद्यार्थियों को जनसेवी बना रहा है।

माननीय सरकार्यवाह जी ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में बने डॉ हेडगेवार अस्पताल का वर्णन करते हुए कहा कि वहां सेवा देने वाले डॉक्टर बाहर की दुनिया में अपनी योग्यता के अनुरूप ज्यादा रुपया कमा सकते हैं लेकिन वे जनसेवा करने के लिये बहुत ही कम वेतन में उस अस्पताल में पीड़ितों का उपचार कर रहे हैं। यही नहीं वे युवा मेडिकोज को सेवा कार्य के लिये प्रोत्साहित करने का कार्य भी कर रहे हैं।

'नेत्र कुंभ से की हजारों की सेवा' : सरकार्यवाह ने सेवा की भावना का वर्णन करते हुए कहा कि सेवा की भावना में कोई दीवार नहीं होती। कोई भेद नहीं होता। कोरोना के समय में दूर-दूर से गरीब-मजदूर पैदल ही चले आ रहे थे। वे परेशान होने पर भी अपना शिष्‍ट एवं मर्यादित व्यवहार नहीं भूले। समाज ने भी उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए जगह-जगह उन सबकी सेवा की। उनको भोजन और आश्रय दिया।

यही कारण है कि उस समय जहां कई देशों में भोजन के लिये दंगे हुये लेकिन भारत अछूता रहा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज के महाकुंभ में भी सेवा की दृष्टि से नेत्र कुंभ का लगाकर हजारों लोगों की आंखों की जांच की गई थी। उन्हें दवा और चश्मा दिया गया था। ऐसे विचार तभी आते हैं जब समाज के प्रति अपनापन का भाव जागृत होता है। ऐसी ही सेवा भावना समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जागृत हो। बस यही कामना है।

भारत की ऋषि परंपरा से जुड़ी यात्राएं : अध्यक्षता करते हुए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि जनजातियों को 2017 से पहले मतदान के अधिकार नहीं थे। राशन कार्ड और कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं थी। भाजपा की सरकार आने के बाद से थारू, मुसहर, कोल, गोंड, समेत सभी जनजातियों को हर सुविधा उपलब्ध कराई गई। यही नहीं, इससे पहले कुछ मिशनरी और वामपंथी जनजातीय समाज का ब्रेनवॉश भी किया करते थे।

उन्होंने कहा कि वनटांगिया के 55 गावों में कोई अधिकार नहीं थे। यह स्थिति देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन रही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में यात्राओं की एक लंबी श्रृंखला रही है। आदि शंकराचार्य ने भी शंकर दिग्विजय यात्रा के माध्यम से भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ा था। ऐसी धार्मिक यात्राएं केवल आस्था नहीं, बल्कि समाज को एक सूत्र में बांधने का माध्यम होती हैं। उन्होंने कहा, उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक भारत आदिकाल से एक सांस्कृतिक इकाई रहा है और धार्मिक यात्राओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सका। भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में भी ऐसी ही एकता को पुनः स्थापित करने का कार्य पांच साल पहले प्रारंभ हुआ।

2017 से पहले अधिकार विहीन थे जनजातीय समुदाय : सीएम योगी ने कहा, आपको आश्चर्य होगा कि 1947 में देश को आजादी मिली, लेकिन 2017 से पहले तक इन गांवों के लोगों को न वोटिंग का अधिकार था, न राशन कार्ड। न बिजली, न सड़क और न स्वास्थ्य की कोई सुविधा। वन विभाग और पुलिसकर्मी इनका शोषण करते थे। उन्होंने आगे बताया कि जब 2017 में बीजेपी की सरकार आई, तब जाकर इन गांवों को राजस्व ग्राम की मान्यता मिली और धीरे-धीरे सभी योजनाएं लागू की गईं। सीएम योगी ने ऐतिहासिक तथ्य साझा करते हुए बताया कि थारू जनजाति के लोग अंग्रेजों द्वारा तराई के जंगलों में बसाए गए। उन्हें कहा गया था कि जंगल में रहो, कोई वेतन नहीं मिलेगा। वे झोपड़ियों में रहे, शोषण सहा। जब आजादी मिली तब भी सरकारों ने आंखें मूंदी रखीं। सीएम ने बताया कि इन लोगों ने मतदान करना शुरू किया।

2022 और 2024 के चुनाव में भी हजारों लोग पहली बार वोटर बने। अब हर गांव में सड़क है, हर घर में बिजली है, सभी को मकान मिले हैं। आंगनबाड़ी केंद्र खुले हैं, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र बन रहे हैं। राशन, आयुष्मान योजना, पेंशन समेत हर सुविधा इन तक पहुंच चुकी है। समारोह के अंत में सीएम योगी ने यात्रा से जुड़े सभी स्वयंसेवकों, पदाधिकारियों और सेवा न्यास को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह यात्रा केवल स्वास्थ्य सेवा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सामाजिक एकात्मता की यात्रा है। यह हमें जगतगुरु आदि शंकराचार्य की याद दिलाती है। जब यात्राओं के माध्यम से जनजागरण का कार्य हुआ करता था। आज यह कार्य भारत-नेपाल सीमा पर हो रहा है। यह यात्रा चलती रहनी चाहिए और सबका अभिनंदन होना चाहिए।

सेवा न्यास और महंत अवैद्यनाथ जी को बताया प्रेरणा स्रोत : सीएम योगी ने कहा, हमें आभार प्रकट करना चाहिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का, नानाजी देशमुख जी और अपने पूज्य गुरुदेव महंत अवैद्यनाथ का। उन्होंने बच्चों के लिए छात्रावास और स्कूल की व्यवस्था कराई। उन्होंने कहा, वर्ष 2007 में नेपाल में माओवादी और मधेशियों के बीच भीषण संघर्ष हुआ तो मैंने व्यक्तिगत जानकारी ली, तब समझ में आया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में संघ और उससे जुड़ी संस्थाएं कैसे काम कर रही हैं। आज गुरु गोरक्षनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा न्यास भारत और नेपाल की सीमा पर बसे हुए लोगों के बीच दोनों देशवासियों में सेवा कार्य के माध्यम से मैत्री एवं पारस्परिक सहयोग का भाव जगा रहा है। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रही बड़ी आबादी भी भारतीयता का बोध कर रही है। 

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