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यूपी में कोरोना से बिगड़ते हालात का संज्ञान लें राज्यपाल: अखिलेश यादव

उन्होंने आरोप लगाया कि लापरवाही का आलम यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिन डाक्टरों व अधिकारियों को हेल्पलाइन में लगाया गया है। वो अपने फोन ही नहीं उठाते हैं

Update: 2021-04-18 01:41 GMT

लखनऊ: भाजपा सरकार के कार्य व नीतिगत विफलताओं ने कोरोना संकट काे भयावह बना दिया है। मुख्यमंत्री प्रशासन पर नियंत्रण खो चुके हैं। बिगड़ते हालात का राज्यपाल को संविधान सम्मत संज्ञान तुरंत ले लेना चाहिए।

शनिवार को यह बात समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कही। मीडिया को जारी किए बयान में सपा प्रमुख ने काेरोना संक्रमण से बिगड़ी स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हर रोज संक्रमित मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है।

उन्होंने आगे कहा कि श्मसान घाटों तथा कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बच रही है। डबल इंजन वाली सरकारें जिन प्रदेशों में है, वहां कोरोना की दूसरी लहर के कहर ने झूठे दावों की पोल खोल कर रख दी है। आंकड़े छुपाने के लिए उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश व बिहार में टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग से खिलवाड़ ने स्थिति को और खराब कर दिया है।


उन्होंने आरोप लगाया कि लापरवाही का आलम यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिन डाक्टरों व अधिकारियों को हेल्पलाइन में लगाया गया है। वो अपने फोन ही नहीं उठाते हैं। मदद मांगने वालों से अभद्रता से पेश आते हैं। कारगिल शहीद के पिता और रिटायर्ड जज तक इस अमानवीय व्यवहार के शिकार हुए हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी चाहे जितनी प्रशंसा कर लें, परंतु केंद्र सरकार ने भी प्रदेश के हालात पर चिंता जताई हैं। प्रदेश में आइसीयू बेड बढ़ाने और एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाने को भी कहा गया है। राज्य सरकार को केंद्र की भाजपा सरकार ने आईना दिखा दिया है।

अखिलेश ने सवाल किया कि क्या इसके बाद भी मुख्यमंत्री अपनी बड़बोली बयानबाजी बंद कर जनता के दुःख-दर्द बांटने के समुचित कदम उठाएंगे?

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