SwadeshSwadesh

डीएपी खाद की कीमत बढ़ाकर सब्सिडी का ड्रामा कर रही सरकार: अखिलेश यादव

अखिलेश ने कहा कि किसानों से छल कपट की भाजपाई राजनीति के काले पन्ने खुलते जा रहे हैं। यूरिया की 50 किलोग्राम की बोरी 45 किलोग्राम करके दाम बढ़ा दिए गए। डीएपी की बोरी 2400 रुपये की हो गई जबकि जनवरी 2014 में डीएपी का रेट 413 रुपये ही था। अब महंगी खाद पर सब्सिडी बढ़ाने का छलावा किया जा रहा है।

Update: 2021-05-24 05:14 GMT

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि डीएपी खाद की कीमत दो बार बढ़ाकर सब्सिडी का ड्रामा करने वाली भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार में यूरिया की कालाबाजारी जारी है। किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि वर्षा की चेतावनी के बावजूद क्रय केंद्रों में एकत्रित टनों गेहूं लापरवाही के चलते भीग कर खराब हो गया। 

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा की इन किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ तो दल के अंदर भी विरोध के स्वर उठने लगे है। न तो सरकार के प्रभारी मंत्रियों को किसान की चिंता है और न अफसरों को। अखिलेश ने कहा कि किसानों से छल कपट की भाजपाई राजनीति के काले पन्ने खुलते जा रहे हैं। यूरिया की 50 किलोग्राम की बोरी 45 किलोग्राम करके दाम बढ़ा दिए गए। डीएपी की बोरी 2400 रुपये की हो गई जबकि जनवरी 2014 में डीएपी का रेट 413 रुपये ही था। अब महंगी खाद पर सब्सिडी बढ़ाने का छलावा किया जा रहा है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार पहले बिजली दरें बढ़ा चुकी थी अब फिर 12 प्रतिशत वृृद्धि के लिए बिजली कंपनियों मालिकों से सांठगांठ की। किसान पर असमय बरसात का कहर भी टूट पड़ा है। खलिहान में और क्रय केंद्रों में खुले में रखा गेहूं भीग गया । बरेली, मोहम्मदी खीरी, गोला गोकर्णनाथ, जालौन, हरदोई, फतेहपुर आदि जनपदों में अव्यवस्थाओं के चलते टनों गेहूं बर्बाद हो गया। गन्ना किसानों को मिल मालिकों की दया पर छोड़ दिया गया है। उनका अभी भी 40 प्रतिशत से ज्यादा बकाया है। कायदे से उस पर ब्याज भी दिया जाना चाहिए पर जहां मूलधन का ही पता न हो वहां ब्याज का कानून क्या करेगा? 

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि गत छह माह से आंदोलन कर रहें किसानों से सरकार वार्ता को तैयार नहीं है। भाजपा पूरी तरह बडे़ उद्योगपतियों और सेठ साहूकारों के मुनाफे को प्राथमिकता में रखकर नीतियां बनाती है। भाजपा ने हमेशा किसानों का शोषण और अपमान किया है। किसान भाजपा से बुरी तरह आक्रोशित है और पिछले छह माह से आंदोलन कर रहा है फिर भी कोई किसानों से वार्ता को तैयार नही है। अगले वर्ष होने वाले चुनावों में किसान भाजपा को सत्ता से बेदखल कर सबक सिखाएगे। तभी 2022 में समाजवादी सरकार बनने पर किसानों को न्याय मिलेगा।

Tags:    

Similar News