'आनंद सिंह था यूपी टाइगर.. निधन से शोक की लहर': लखनऊ स्थित आवास पर रविवार देर रात तबीयत बिगड़ने से हुई मौत…

अंतिम दर्शन के लिए लोगों का लगा तांता, मनकापुर में मनोरमा नदी तट पर अंतिम संस्कार

Update: 2025-07-07 14:14 GMT

गोण्डा। कुंवर आनंद सिंह अन्नू भैया का रविवार देर रात लखनऊ में निधन हो गया। उनका जन्म चार जनवरी 1939 को मनकापुर रियासत के राजा राघवेंद्र प्रताप के घर हुआ था। केल्विन तालुकेदार स्कूल लखनऊ से प्रारंभिक शिक्षा के उपरांत उनका दाखिला एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में करवा दिया गया। वहां से बीएससी करने के बाद घर पर रहकर कृषि कार्य देखने लगे। उनका विवाह बाराबंकी जिले की कोटवा विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन विधायक तथा राज्य सभा सदस्य रहीं बिंदुमती देवी की पुत्री वीणा सिंह से हुआ। उनके तीन बेटियां निहारिका सिंह, राधिका सिंह व शिवानी राय तथा एक पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह हैं, जो वर्तमान में गोंडा से सांसद तथा केंद्रीय विदेश, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।

सन 64 से 91 तक का सियासी सफर : स्वतंत्र पार्टी के विधायक रहे पिता राघवेंद्र प्रताप सिंह के निधन के उपरांत आनंद सिंह का राजनीति में पदार्पण हुआ और 1964, 1967 तथा 1969 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। आनंद सिंह ने उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी।

इसके बाद वह 1971 में गोंडा लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर दिल्ली पहुंचे। 1980, 1984 और 1989 का लोकसभा चुनाव भी वह कांग्रेस के टिकट पर गोंडा संसदीय सीट से निर्वाचित हुए। 1991 के आम चुनाव में राम लहर के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने उन्हें पराजित किया।

इसके बाद 1996 में बृजभूषण सिंह के जेल जाने पर उनकी पत्नी उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह ने उन्हें दोबारा शिकस्त दी। इसके बाद उन्होंने संसदीय चुनाव से दूरी बना ली। काफी समय बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में आनंद सिंह जिले की गौरा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर एमएलए चुनाव गए तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी सम्हाली। इसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। बताया जाता है कि पूर्वांचल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले मनकापुर रियासत के राजा आनंद सिंह को यूपी टाइगर के नाम से जाना जाता था।

जब उन्हें थमा दिए जाते 11 विधायकों के टिकट : पार्टी में उनके हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि विधानसभा चुनावों में तत्कालीन संयुक्त गोंडा की 11 विधानसभा सीटों के लिए पार्टी उन्हें ब्लैंक सिम्बल (बिना किसी का नाम दर्ज किए नामांकन पत्र के साथ जमा किया जाने वाला प्रपत्र) दे देती थी।

आनंद सिंह जिले में जिसे चुनाव लड़वाना चाहते थे, उसका नाम भरकर नामांकन करवा देते थे। कहा जाता था कि मनकापुर रियासत का वरदहस्त जिस व्यक्ति पर हो जाए, उसके लिए जिला परिषद अध्यक्ष, विधायक और ब्लाक प्रमुख आदि बन जाना बहुत आसान था। बताया जाता है कि पूर्वांचल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले मनकापुर रियासत के राजा आनंद सिंह को यूपी टाइगर के नाम से जाना जाता था।

अंतिम विदाई में जुटे कई दिग्गज नेता : अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मंत्री दारा सिंह चौहान, अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद, एमएलसी अवधेश कुमार सिंह 'मंजू', बलरामपुर सदर विधायक पलटू राम, मनकापुर विधायक रमापति शास्त्री, गौरा विधायक प्रभात वर्मा, तरबगंज विधायक प्रेम नारायण पांडेय, कर्नलगंज विधायक अजय कुमार सिंह, मेहनौन विधायक विनय कुमार द्विवेदी, उतरौला विधायक रामप्रताप वर्मा सहित जिले के सभी प्रमुख जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। जनमानस उन्हें एक विनम्र, कर्मठ और समर्पित जननेता के रूप में सदैव याद रखेगा। 

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