रैंक 59 की रंगीन झूठी कहानी: नीट में फेल निकला अयोध्या का 'मुन्ना भाई अनूप तिवारी…

मिठाइयों से जश्न तक, और फिर शर्म से सन्नाटा!

Update: 2025-06-17 12:24 GMT

समीर शाही, अयोध्या। जनपद के हैरिंग्टनगंज ब्लॉक का परसपुर सथरा गाँव कुछ घंटों के लिए "टॉपर गाँव" बन गया था। नीट 2025 में ऑल इंडिया 59वीं रैंक हासिल करने का दावा करने वाले अनूप तिवारी के घर बधाइयों की लाइन लगी थी, मीडिया का कैमरा चमक रहा था, और लड्डू मुफ़्त में बँट रहे थे। लेकिन ये उत्सव झूठ की बुनियाद पर खड़ा था और जब सच्चाई आई, तो पूरे गाँव की गर्दन झुक गई।

14 जून को नीट परिणाम जारी हुआ। अनूप तिवारी ने दावा किया कि उसने न सिर्फ परीक्षा पास की है बल्कि देश भर में 59वीं रैंक हासिल की है। फेसबुक-व्हाट्सऐप पर पोस्ट वायरल हुई, गाँव वालों ने बधाइयों के पुल बांधे, और चौराहे की मिठाई की दुकान से लेकर ग्राम प्रधान तक अनूप की "कड़ी मेहनत" की मिसाल देने लगे।

लेकिन जैसे ही कुछ सतर्क लोगों ने परिणाम की पड़ताल शुरू की, पूरा खेल सामने आ गया। एनटीए की ऑफिशियल टॉप-100 लिस्ट में अनूप तिवारी का नाम तो दूर, उसका ज़िक्र तक नहीं था। रैंक 59 पर दर्ज था हैदराबाद का डी सूर्य चरन नामक छात्र। जब गहराई से जांच हुई, तो असलियत और चौंकाने वाली निकली अनूप ने कुल सिर्फ 80 नंबर हासिल किए थे!

झूठ की पीठ थपथपाती मीडिया और समाज

अनूप का झूठ एक दिन में नहीं फूटा। इसके पीछे मीडिया की जल्दीबाज़ी, समाज का अंधा भरोसा और "रैंक बधाई सिंड्रोम" जिम्मेदार है। बिना वैरिफिकेशन के अखबारों में खबरें चलीं, चैनलों ने 'अयोध्या के लाल' को पोस्टर बॉय बना दिया और सोशल मीडिया पर अनूप को "नीट का एपीजे अब्दुल कलाम" कहा जाने लगा।

अब जब सच्चाई सामने है, तो वही लोग सोशल मीडिया पर अनूप को कोस रहे हैं, गालियाँ दे रहे हैं। लेकिन क्या सवाल उन अखबारों और न्यूज चैनलों से नहीं पूछा जाना चाहिए जिन्होंने बिना पुष्टि के झूठ को सच बनाया?

झूठ के वायरल होने का ये कैसा दौर है?

ये कोई पहला मामला नहीं है। हर साल नीट यूपीएससी जैसे परीक्षाओं में ऐसे फर्जी दावे सामने आते हैं। कई बार तो खुद अभिभावक अपने बच्चों के झूठ को "सोशल स्टेटस" के नाम पर बढ़ावा देते हैं। ये घटना सिर्फ एक बच्चे की गलती नहीं, बल्कि समाज की उस मानसिकता का आईना है, जो नंबरों को ही सफलता का पैमाना मानती है - चाहे वो सच हों या झूठ।

स्वदेश का सवाल यह है

-क्या अनूप तिवारी पर कार्रवाई होगी?

-क्या बगैर पुष्टि खबरें चलाने वाले चैनल माफी मांगेंगे?

-और क्या समाज अब भी हर रिजल्ट सीजन में 'सेलिब्रिटी टॉपर' ढूंढता रहेगा?

फिलहाल परसपुर सथरा में मिठाइयों की मिठास की जगह तानों की कड़वाहट फैल चुकी है - और '59वीं रैंक' अब गाँव के लिए गर्व नहीं, शर्म का दूसरा नाम बन चुका है।

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