शुरू हो गया है चातुर्मास: अगले चार महीने नहीं होंगे शादी-ब्याह जैसे शुभ कार्य, जानिए इस दौरान किन बातों का रखे ध्यान?

Update: 2025-07-07 02:52 GMT

Devshayani Ekadashi 2025: सनातन धर्म में चार महीने की पवित्र अवधि को चातुर्मास कहा गया है, जिसमें श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने शामिल होते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद भगवान चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि को भगवान का शयनकाल कहा जाता है और इस एकादशी के दिन से चातुर्मास लग जाता है। इन चार माह में सारे शुभ-मांगलिक कार्य जैसे विवाह, तिलक, मुंडन, गृह प्रवेश आदि पर रोक लगा दी जाती है। इस चातुर्मास में सावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह शामिल हैं।

कब से कब तक रहेगा चातु्र्मास?

सनातन धर्म के अनुसार, इस साल रविवार 6 जुलाई से चातु्र्मास शुरू हो गया है। इसी दिन आषाढ़ माह की एकादशी भी मनाई जाती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसके अलावा इसे हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं। 1 नवंबर को जब देवउठनी एकादशी पर भगवान हरि विष्णु योग निद्रा से बाहर आएंगे तब चातुर्मास का समापन हो जाएगा और फिर से मांगालिक कार्य किए जाएंगे।

व्रत और साधना वाला चातुर्मास

इस चातुर्मास के चार महीनों को व्रत और साधना वाले महीने बताए जाते हैं। कहा जाता है कि चातुर्मास के महीनों में साधु महात्मा यात्राएं बंद करके मंदिर या फिर किसी धार्मिक स्थान पर रहकर साधना में लीन हो जाते हैं। इन 4 महीनों में केवल ब्रज धाम की यात्रा की जा सकती है।

किन चीजों से करें परहेज?

चातुर्मास में 4 में सबसे पहले सावन महीना आता है जिसमें पालक या पत्तेदार सब्जियों से परहेज किया जाता है। इसके बाद भाद्रपद में दही से परहेज किया जाता है।आश्विन में दूध से और कार्तिक माह में लहसुन प्याज का पूरी तरीके से त्याग कर देना चाहिए।

किन चीजों का करें सेवन?

चातुर्मास में शहद, मूली, परवल और बैंगन खाने से भी परहेज करें। चातुर्मास में पूर्ण रूप से सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दौरान पलंग पर सोना भी नहीं चाहिए नहीं तो भगवान नाराज होते हैं।

 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Swadeshnews.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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