कौन होगा अगला प्रदेश अध्यक्ष, माथापच्ची में जुटे कांग्रेसी

मंत्री और निगम-मंडल अध्यक्षों को लेकर भी चर्चाएं जारी

Update: 2018-12-15 12:04 GMT

स्वदेश वेब डेस्क। म.प्र. कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा हो चुकी है, जिससे अब कांग्रेस में नया प्रदेश अध्यक्ष चुना जाना है। इसको लेकर कांग्रेसजन माथापच्ची में जुट गए हैं कि आखिर अब पार्टी की कमान किसके हाथों में सौंपी जाएगी? इसके साथ ही मंत्री मंडल में शामिल होने वाले विधायकों एवं निगम-मंडल के अध्यक्ष पदों पर किसकी ताजपोशी होगी? इसे लेकर भी चर्चाएं जारी हैं।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आने पर कांग्रेस का 15 वर्षों का वनवास समाप्त हो रहा है, जिससे कांग्रेसजन काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। वहीं अब चूंकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री के रूप में आगामी 17 दिसम्बर को कार्यभार संभाल लेंगे। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो जाएगी। इस कुर्सी पर अब कौन विराजित होगा? इसकी उधेड़बुन में कांग्रेसजन जुट गए हैं। दरअसल इसको लेकर किसी का मत है कि यदि कमलनाथ की चली तो वह अपनी प्रदेश अध्यक्ष की सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बैठा सकते हैं। इसके अलावा चुनाव हार चुके अजय सिंह अथवा अरुण यादव में से भी किसी को मौका दिया जा सकता है। वहीं सिंधिया समर्थकों का मत है कि यदि सिंधिया की बात मानी गई तो वह अपने खास सिपहसालारों में शामिल रामनिवास रावत को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने के लिए पैरवी कर सकते हैं क्योंकि वर्तमान में भी रावत कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं विजयपुर से चुनाव हार जाने के बाद उन्हें मंत्री मंडल में भी शामिल नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही निगम-मंडलों में भी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सहित अन्य पदों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

सिंधिया के आश्वासन को आधार मान रहे दावेदार

यहां बताना गौरतलब होगा कि विधानसभा चुनाव के टिकट फाइनल होने से पूर्व जब सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया दशहरा पूजन करने ग्वालियर आए थे, तब उन्होंने टिकट की मांग करने वाले दावेदारों को जयविलास पैलेस में बुलाकर उन्हें समझाइश दी थी कि टिकट चाहे जिसे भी मिले, लेकिन आप सबको मिलकर चुनाव में मेहनत करना है। आप लोग निश्चिंत रहें। यदि पार्टी सत्ता में आएगी तो सभी को समायोजित कर लिया जाएगा। बस सिंधिया द्वारा दिए गए इसी आश्वासन को आधार मानते हुए टिकट के लिए दावेदारी जता रहे कांग्रेसजन निगम-मंडल में अपना स्थान पक्का मानकर चल रहे हैं। यही नहीं, इन दावेदारों के समर्थक तो अपने इष्ट नेता को निगम-मंडलों में आसीन हुआ मानकर अभी से उनके जरिए अपने हितों को साधने के सब्जबाग सजाने लग गए हैं।

एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ न हो जाए

विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं द्वारा दावेदारी जताई जा रही थी, जिन्हें संतुष्ट करने के लिए रेवड़ी की तरह पद बांटने से लेकर सिंधिया द्वारा इतना ठोस आश्वासन दिया गया था, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि निगम-मंडलों में भी एक निश्चित सीमा में ही पद होते हैं। ऐसे में सभी को इनमें समायोजित किए जाने का दावा भी बेमानी होगा। बहरहाल इन हालातों को देखकर लगता है कि कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो सकती है, जिससे एक बार फिर निगम-मंडल में स्थान पाने को कांग्रेसजनों में घमासान होता नजर आ सकता है। 

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