उपलब्धियों से भरा वर्ष 2025

Update: 2025-12-31 03:29 GMT

या वर्ष आने वाला है और साल न 2025 जाने की है। निश्चित ही नया वर्ष हम सबके लिए उम्मीदों से भरा होगा। ऐसी आशा की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश नित दिन ऊंचाई के शिखर पर पहुंच रहा है। अलविदा होते साल में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश ने कई उपलब्धियां हासिल की। एक नए भारत की संकल्पना साकार हो रही है और आगे भी यह सिलसिला चलता रहेगा। बीता वर्ष समृद्ध भारत बनाने के संकल्प से उन वर्ष में दर्ज हो गया है, जिसने भारत की दिशा, दृष्टि और

सामर्थ्य तीनों को नए सिरे से परिभाषित किया है। तकनीक, आस्था, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, खेल और संस्कृति जैसे हर क्षेत्र में प्रगति के रूप में यह वर्ष जाना जाएगा। इस साल की सफल यात्रा वह दस्तावेज है, जिसमें भारत ने खुद को और अधिक संगठित, सक्षम और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में साबित कर दिखाया है। आज हम जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो यह साफ दिखता है कि यह साल भविष्य के भारत की नींव को और मजबूत करने वाला रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2025 ने हर सेक्टर और

हर मोर्चे पर भारत की आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी छवि को और मजबूत किया है। यह वर्ष उस भारत की तस्वीर बन गया जो निर्णय लेता है, खतरा मोल लेता है और इसके बेहतर परिणाम भी सामने आते हैं। कहा जा सकता है कि इस साल ने आने वाले दशक की नीव रख दी। एक ऐसे भारत की नींव जो विश्व मंच पर अपने आत्मबल, आत्मगौरय और आत्मनिर्भरता के साथ तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। याद करें इस वर्ष में प्रयागराज में हुए महाकुंभ को। वर्ष 2025 का प्रारंभ आस्था के इसी पर्व से हुआ, जिसे पूरी दुनिया ने

आश्चर्य और आस्था के मिले-जुले भावों से देखा। 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हुआ यह महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक शक्ति का विराट प्रदर्शन बन गया। 26 फरवरी तक चले इस आयोजन ने दुनिया को दिखाया कि आस्था और आधुनिक प्रबंधन एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हो सकते हैं। 38 दिनों में लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में यह महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और मानवीय प्रबंधन

प्रयोग बना। इसी साल यूनेस्को द्वारा दीपावली को अमूर्त सांस्कृक्तिक विरासत की सूची में शामिल किया जाना भारत की सांस्कृतिक जीत रही। यह निर्णय भारतीय सभ्यता के मूल्यों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने वाला साबित हुआ। अलविदा होता 2025 भारत की ताकत को दर्शाने वाला भी साबित हुआ। पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिस पराक्रम के साथ पाकिस्तान को जवाब दिया, बल्कि यह स्पष्ट भी कर दिया कि यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ नीति अब 'सहनशीलता' नहीं बल्कि 'निर्णायक

प्रतिकार' की है। यह ऑपरेशन प्रधानमंत्री मोदी के उस सिद्धांत का प्रतीक बना कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। इसी साल भारत ने अर्थव्यवस्था के मामले में पूरे विश्व में झंडे गाड़े। आज दुनिया में अर्थव्यवस्था के मामले में भारत का स्थान पांचवें स्थान पर है। भारत 4.13 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। यही नहीं अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत अब किसी से कम नहीं है। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में 25 जून 2025 को स्वर्णिम अध्याय जुड़ा, जब

भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभ्रांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुए। वे किसी कमर्शियल मिशन में पायलट की भूमिका निभाने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने 18 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए और 15 जुलाई को सुरक्षित धरती पर लौटे। यह उपलब्धि भारत की मानय अंतरिक्ष क्षमताओं और वैश्विक तकनीकी साझेदारी में बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। पीएम मोदी ने अंतरिक्ष में तकनीक के जरिए विंग कमांडर शुभ्रांशु शुक्ला से अद्‌भुत संवाद किया।

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