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अटल जी की चर्चित कवितायें

Update: 2018-08-16 03:31 GMT



गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर ,

पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,

झरे सब पीले पात,

कोयल की कूक रात,

प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।

गीत नया गाता हूँ।

टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?

अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।

हार नहीं मानूँगा,

रार नहीं ठानूँगा,

काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।

गीत नया गाता हूँ।


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