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बच्चेदानी के बाहर पेट में पल रहा था बच्चा, लाखों में आता है एक मामला

कमलाराजा अस्पताल के चिकित्सकों की सफलता, जच्चा-बच्चा सुरक्षित

Update: 2018-11-02 09:07 GMT

ग्वालियर । कमलाराजा अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने बुधवार को महिला की बच्चेदानी में नहीं बल्कि बच्चेदानी के बाहर पल रहे बच्चे को ऑपरेशन कर सुरक्षित किया। प्रसव होने के पहले जब महिला के गर्भाशय का अल्ट्रासाउण्ड किया गया तो चिकित्सक हैरान रह गए, क्योंकि महिला का बच्चा बच्चेदानी में न होकर उसके बाहर पेट में पल रहा है। मामले को गम्भीरता से लेते हुए चिकित्सकों ने सावधानीपूर्वक सफल ऑपरेशन किया और जच्चा-बच्चा दोनों को सुरक्षित किया। चिकित्सकों का कहना है कि चिकित्सा विज्ञान में ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।

मुरैना निवासी 22 वर्षीय समीना ने गर्भवती होने के कारण 22 सितंबर को मुरैना में स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाया था। जहां अल्ट्रासाउण्ड की रिपोर्ट में चिकित्सकों ने देखा कि समीना का बच्चा बच्चेदानी में न होकर उसके बाहर पेट में पल रहा है। इस पर मुरैना के चिकित्सक ने समीना को कमलाराजा अस्पताल के लिए रैफर कर दिया। इस पर परिजन महिला को 29 अक्टूबर को कमलाराजा अस्पताल लेकर पहुंचे और महिला रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. यशोधरा गौर को दिखाया। डॉ. यशोधरा ने जब महिला का दोबारा अल्ट्रासाउण्ड कराया, तो पता चला कि बच्चेदानी की बजाय बच्चा उसके बाहर पेट में है। डॉ. यशोधरा ने बताया कि ऐसे मामलों में बच्चेदानी फटने या ब्लीडिंग होने की संभावना अधिक रहती है, जिसमें जच्चा और बच्चे की जान को अधिक खतरा रहता है। डॉ. यशोधरा गौर ने इस चुनौती पूर्ण मामले को गंभीरता से लेते हुए समीना का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। डेढ़ घंटे चले इस ऑपरेशन के बाद जच्चा और बच्चे को कोई परेशानी नहीं हुई। ऑपरेशन में डॉ. यशोधरा के साथ टीम में डॉ. प्रगति गोस्वामी, डॉ. शिखा, एनेस्थीसिया के डॉ. दिलीप कोठारी, डॉ. सौरभ और डॉ. अमृत शामिल थे।

नहीं रहता बच्चा जीवित

डॉ. यशोधरा गौर ने बताया कि ऐसे मामलों में 16 से 18 वीक की प्रेग्नेंसी के बाद बच्चा जीवित नहीं रहता है। ऐसे मामलों में आवश्यकता होने पर बच्चेदानी निकालनी पड़ती या फिर खून की नली बांधनी पड़ती है, लेकिन बच्चेदानी को चिकित्सकों ने बचा लिया है।





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