तीन दिवसीय 'रंग संस्कृति नाट्य समारोह' का शुभारंभ, पहले दिन 'एक थी चिड़िया' का मंचन

Update: 2025-12-13 06:21 GMT

स्मार्ट सिटी रोड स्थित साइंस सेंटर के पास 'रंग श्री लिटिल वॉलेट टूप' के राग बांध सभागार में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से रंग संस्कृति सृजन समिति द्वारा आयोजित 'रंग संस्कृति नाट्य समारोह' का शुभारंभ हुआ। समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मोहन तिवारी ने कहा कि जीवन एक रंगमंच है और हम सभी मुखौटे लगाकर कभी पिता, कभी माता, कभी बहन, कभी पुत्र की भूमिका निभाते रहते हैं।

समारोह में रंगमंच, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले साहित्यधर्मी और कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। रंगकर्मी बालेंद्र सिंह ने बताया कि इन दिनों रंगमंच के लिए जगह तलाशना बड़ी चुनौती बन गया है।

तीन दिवसीय नाट्य समारोह में 'रंग संस्कृति प्रतिभा सम्मान 2025' के अंतर्गत मध्यप्रदेश के चुनिंदा रंग कलाकारों और साहित्यधर्मियों को स्मृति चिन्ह के साथ सम्मानित किया गया। इनमें शामिल हैं: प्रीति झा तिवारी (भोपाल रंगमंच, अभिनय), राकेश नामदेव (भोपाल रंगमंच, नेपथ्य), सुनील चौरे 'उपमन्यु' (खंडवा, साहित्य, व्यंग्य), अंजली खखैर (भोपाल, बाल कहानी), दीपक चाकरे 'चक्कर' (भोपाल, हिंदी एवं निमाड़ी बोली के रचनाकार), रेखा ब्रजेश बडोले (खरगोन, चित्रकार)।

समारोह के प्रथम दिवस की प्रस्तुति

समारोह के पहले दिन संजय उपाध्याय के निर्देशन में लोक कहानियों पर आधारित बाल नाट्य 'एक थी चिड़िया' का मंचन मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय में अध्ययनरत रंग प्रयोगशाला के छात्रों द्वारा किया गया। समारोह के दूसरे दिन खुशबू चौबितकर के निर्देशन में 'द रिस्पेक्टफूल प्रॉस्टिट्यूट' का मंचन होगा।

'एक थी चिड़िया' नाटक का मंचन

लोक कथा पर आधारित नाटक 'एक थी चिड़िया' में एक नन्ही और संकल्पबद्ध भूखी चिड़िया और उसके बच्चों की कहानी है। उनका अमूल्य दाना दुर्भाग्यवश एक हठी बढ़ई के दृढ़ खूंटे में समा जाता है। जब बढ़ई उसे काटने से इनकार करता है, तो चिड़िया न्याय और अपने दाने की प्राप्ति के लिए लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा पर निकलती है।

चिड़िया सहायता के लिए क्रमशः राजा, रानी, सांप, लाटी, आग, पानी, हाथी जैसी शक्तिशाली संस्थाओं के समक्ष गिड़गिड़ाती है, किंतु अहंकारवश हर कोई उसकी उपेक्षा करता है। निराश न होते हुए, वह अंततः एक नन्ही चीटी से सहायता मांगती है। छोटी-सी चीटी, अपने लघु आकार के बावजूद, चिड़िया के न्याय की दृढ़ इच्छा को मानती है और सहायता की एक अद्भुत श्रृंखला शुरू होती है।

अंततः, राजा को विवश होकर बढ़ई को आदेश देना पड़ता है और बढ़ई खूंटा काट देता है। इस प्रकार, चिड़िया अपने दाने को पुनः प्राप्त कर लेती है। यह मार्मिक कथा दर्शाती है कि दृढ़ता, न्याय की अदम्य इच्छा और सबसे छोटे जीव की शक्ति मिलकर भी बड़े अन्यायपूर्ण अवरोध को तोड़ सकती है।

Similar News