मृत बच्चे को जिंदा बताकर इलाज करती रही डॉक्टर, पेट में शव लेकर घूमती रही मां, बिगड़ी हालत
उज्जैन में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इलाज के दौरान ही गर्भ में बच्चे की मौत हो गई। सोनोग्राफी में धड़कन बंद होने की जानकारी के बाद भी डॉक्टर इलाज करती रही।
उज्जैनः मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरान कर दिया। एक महिला डॉक्टर पर गर्भवती महिला का गलत इलाज करने का आरोप लग रहा है। महिला डॉक्टर को दिखाने गई गर्भवती की सोनोग्राफी में साफ-साफ लिखा था कि बच्चे की धड़कन बंद है। इसके बाद भी महिला डॉक्टर ने इलाज जारी रखते हुए 14 दिन की दवाई लिख दी।
इतना ही नहीं महिला डॉक्टर ने गर्भ में पल रहे बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ बताया। डॉ की बात का विश्वास कर गर्भ में बच्चे का शव लेकर घूमती रही। जब इंफेक्शन फैलने से गर्भवती महिला की तबीयत बिगड़ी तो परिजनों ने आनन फानन में दूसरे डॉक्टर को दिखाया। तब बच्चे की मौत का खुलासा हुआ।
कहां का है मामला
मामला उज्जैन मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर दताना गांव का है। यहां के निवासी साहिल पटेल की पत्नी मुस्कान गर्भवती थी। प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों से ही डॉ रुपाली महेश्वरी का इलाज चल रहा था। जब गर्भावस्था के 6 माह हुए तो डॉ रुपाली ने मुस्कान की सोनोग्राफी करवाई जिसे देखकर कहा कि जच्चा और बच्चा दोनों अच्छे हैं। उन्होंने डेढ़ महीने बाद फिर सोनोग्राफी करवाकर दिखाने की बात कही।
डेढ़ महीने बाद फिर दोहराई वही बात
डेढ़ महीने बाद मुस्कान ने 14 नवम्बर को सोनोग्राफी करवाई और परिजनों के साथ पुष्पा मिशन अस्पताल में डॉक्टर के पास पहुंची। रिपोर्ट देखने के बाद तब भी डॉ रुपाली ने कहा कि जच्चा और बच्चा स्वस्थ है और 14 दिनों की दवाई लिख दी। इस दौरान मुस्कान को असहनीय दर्द होता रहा।
दर्द और मूवमेंट ने बढ़ाई चिंता
गर्भवती को अगले कुछ दिनों तक पेट में कोई हलचल नहीं महसूस नहीं हुई। इतना ही नहीं उसका दर्द भी बढ़ता जा रहा था। जब उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो घरवालों ने 29 नवंबर को फिर सोनोग्राफी कराई और दूसरे डॉक्टर को दिखाया।
रिपोर्ट देखकर डॉक्टर चौंका,फिर घरवालों के उड़े होश
जब सोनोग्राफी दूसरे डॉक्टर के दिखाई तो वह दोनों रिपोर्ट देखकर सन्न रह गए। उन्होंने परिवार को जो बताया उससे तो घरवालों के पैरे तले जमीन खिसक गई। डॉक्टर ने बताया कि 15 दिन पहले ही गर्भ में शिशु की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में साफ लिखा था कि बच्चे की गर्भ में ही मौत हो चुकी है।
डॉक्टर को तो इस बात से हैरान की थी रिपोर्ट में 14 नवंबर के दिन ही बच्चे की मौत की पुष्टि हो गई थी। इसके बाद भी महिला डॉक्टर इलाज करती रही। वहीं, डॉक्टर की लापरवाही के चलते गर्भवती 14 दिनों तक मृत बच्चे को रखने से इंफेक्शन फैल गया। 29 नवंबर के दिन महिला को प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराकर इलाज कराने के बाद मृत बच्चे को निकाला गया। गनीमत रही कि महिला की जान बच पाई।
पति ने फोन पर नाराजगी जताई तो बोली सॉरी
इस घटना के बाद जब महिला के पति ने डॉक्टर रुपाली महेश्वरी को फोन लगाया और नाराजगी जताई। तब डॉक्टर ने गलती मानते हुए सॉरी कहा और बोला कि रिपोर्ट के अक्षर छोटे थे देख नहीं पाई। यह सारी बातें कॉल रिकार्डिंग के माध्यम से सेव हो गई। महिला का पति अन्य रिश्तेदारों के साथ डॉक्टर रुपाली के पास गए और ईलाज में खर्च हुए रुपए के बारे में बताया तो डॉक्टर ने उसे डराते हुए भगा दिया।
हॉस्पिटल के बाहर पोस्टर लेकर हुए खड़े
महिला का पति साहिल अपने अन्य रिश्तेदारों के साथ पुष्पा मिशन अस्पताल पहुंचा। जहां वह डॉक्टर रुपाली से इलाज करवाने गया था। हाथों में बेनर लेकर लोगों को संदेश दिया कि यह मौत का अस्पताल है कोई यहां न आए। इसके बाद डॉ रुपाली के दशहरा मैदान स्थित निजी क्लिनिक आराध्य हेल्थ केयर पहुंचा। वहां बाहर खड़े होकर बैनर के माध्यम से संदेश दिया कि यह मौत की डॉक्टर है इससे कोई इलाज न करवाए।