उच्च न्यायालय के निष्कर्ष बिल्कुल भी गलत नहीं: NEET UG परीक्षा पर MP हाई कोर्ट के निर्णय को SC ने माना सही
Supreme Court
नई दिल्ली/मध्यप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश में NEET UG परीक्षा से संबंधित मामले की सुनवाई की। इंदौर में परीक्षा के दौरान बिजली चली गई थी जिसके चलते कई छात्रों ने हाई कोर्ट में री-एग्जाम की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। अदालत का निर्णय छात्रों के पक्ष में नहीं था। करीब 50 छात्रों ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और एएस चंदुरकर की पीठ ने मामले की सुनवाई की। वकील ने कहा कि, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आ गई है। 180 प्रश्न थे और 180 मिनट का समय था। बिजली एक घंटे से ज्यादा समय तक गुल रही।
अदालत ने कहा - कुछ और लोग भी थे जिन्हें इसका सामना करना पड़ा होगा। हम किसी व्यक्ति के मामले में आदेश पारित नहीं कर सकते। उच्च न्यायालय ने इसकी गहन जाँच की है। उसने एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की है।
वकील ने दलील दी कि, हमने रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं जताई है। बिजली एक घंटे से ज़्यादा समय तक गुल रही। हम ठीक से देख नहीं पा रहे थे। एनटीए की रिपोर्ट में बिजली गुल होने का समय नहीं बताया गया है। इसमें बस कुछ मिनटों के लिए बिजली गुल होने की बात कही गई है। मैं समझता हूं कि काउंसलिंग शुरू हो गई है। अगर परिणाम घोषित होने से पहले हमें दोबारा परीक्षा देनी होती। तो हम यही चाहते थे।
अदालत ने कहा कि, अदालत (एमपी हाई कोर्ट) ने इसे ऐसे ही खारिज नहीं किया। अदालत ने एक रिपोर्ट देखी। यह एक-एक करके देखने वाली स्थिति नहीं है। हमने आप सभी की बात सुनी है। उच्च न्यायालय के निष्कर्ष बिल्कुल भी गलत नहीं थे।
अदालत में यह भी हुआ :
वकील ने कहा कि, एकल न्यायाधीश की पीठ ने दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश दिया था।
एसजी तुषार मेहता ने कहा - हम दोबारा परीक्षा नहीं करा सकते। हर प्रश्नपत्र की कठिनाई का स्तर अलग-अलग होता है।
वकील- वे हमें काउंसलिंग के लिए पंजीकरण भी नहीं करने दे रहे हैं।
मेहता - हमने वह सब आगे भेज दिया है।
न्यायालय - यदि आप पात्र हैं तो वे इसे लेंगे। छात्रों को अनावश्यक उम्मीदें न दें।
वकील - यह कई छात्रों के लिए आखिरी मौका था।
न्यायालय - समानता के संतुलन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसा किया है।
वकील - कम से कम हमें पंजीकरण प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति तो दी जा सकती है।
न्यायालय - यदि आप पात्र हैं तो आपको अनुमति दी जाएगी। विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया जाता है।