अवैध रेत खनन पर रिपोर्टिंग को लेकर मारपीट का मामला: MP के दो पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट ने दी गिरफ्तारी से सुरक्षा

Update: 2025-06-09 06:55 GMT

Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के दो पत्रकारों को 'गिरफ्तारी से सुरक्षा' प्रदान की है। कथित रूप से इन पर चंबल क्षेत्र में अवैध रेत खनन पर रिपोर्टिंग करने के लिए भिंड पुलिस द्वारा हमला किया गया था।

न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और मनमोहन की पीठ ने पत्रकारों की याचिका को खारिज कर दिया और दोनों को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय (मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय) में जाने की स्वतंत्रता दी। आदेश में कहा गया कि, यह स्पष्ट किया जाता है कि पत्रकारों को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक कि संबंधित उच्च न्यायालय इस मामले पर विचार नहीं कर लेता।

4 जून को भी इस मामले की सुनवाई हुई थी। एमपी पुलिस पर मारपीट और 'जान को खतरा' का आरोप लगाने वाले पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के दो पत्रकारों के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश पारित करने से मना कर दिया था। पत्रकारों ने हिरासत में हिंसा, जाति-आधारित दुर्व्यवहार और पुलिस अधीक्षक (एसपी) असित यादव सहित भिंड पुलिस से जान को खतरा होने का आरोप लगाया था।

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा था कि, जब तक अदालत को दो पत्रकारों, शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान के लिए जिम्मेदार अपराध की सटीक प्रकृति से अवगत नहीं कराया जाता, तब तक वह दोनों को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने वाला कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकती।

पत्रकार शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान ने दावा किया था कि चंबल नदी का दोहन करने वाले 'रेत माफिया' की रिपोर्टिंग करने पर राज्य के पुलिस अधिकारियों ने उन पर शारीरिक हमला किया था। इस मामले को लेकर अदालत ने एमपी सरकार को नोटिस दिया था। 

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