ऑटो चालक से लेकर किसान और वकील तक जुड़ेंगे अभियान से
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष के लक्ष्य को लेकर प्रदेश भर में वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत कर चुका है। विजयादशमी से प्रारंभ हुआ यह अभियान अब एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसमें हर हिंदू परिवार तक संघ का संदेश पहुँचाने की योजना है।संघ ने इस वर्ष विजयादशमी के अवसर पर अभूतपूर्व आयोजन किया। 2 से 15 अक्टूबर तक पूरे छत्तीसगढ़ में 2000 स्थानों पर पथ संचलन आयोजित किए गए। यह पहली बार हुआ है जब संघ का पथ संचलन पूरे पखवाड़े तक चला। इस अभियान के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को जोड़ने और संगठन की शक्ति प्रदर्शित करने का संदेश दिया गया।
एक नवंबर से घर-घर संपर्क अभियान
आरएसएस अब अपने शताब्दी वर्ष के दूसरे प्रमुख कार्यक्रम की शुरुआत कर रहा है। 1 नवंबर से ‘घर-घर संपर्क अभियान’ प्रारंभ होगा, जो पूरे नवंबर माह तक चलेगा। इस अभियान के तहत स्वयंसेवक प्रदेश के सभी हिंदू परिवारों के घरों तक पहुँचेंगे, संघ की 100 वर्षों की यात्रा और कार्यों की जानकारी देंगे तथा प्रत्येक घर को भारत माता की तस्वीर भेंट करेंगे। साथ ही संघ का साहित्य भी वितरित किया जाएगा।
संघ ने आगामी महीनों में भी कई आयोजन तय किए हैं।
जनवरी 2026 – युवा महोत्सव
जनवरी 2026 में 221 स्थानों पर युवा महोत्सव आयोजित किए जाएंगे, जिनमें 152 खंडों और 69 नगरों के युवा शामिल होंगे। इसमें युवाओं की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा होगी। इस अवसर पर 15 रुपये मूल्य की एक पुस्तक भी प्रकाशित की जाएगी। इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को संगठन से जोड़ना है।
मार्च 2026 – प्रमुख जन गोष्ठी
मार्च 2026 में प्रमुख जन गोष्ठियाँ आयोजित की जाएँगी, जिनमें ऑटो, ट्रक, टैक्सी चालक, किसान, व्यापारी और वकील जैसे वर्गों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। इन गोष्ठियों में समाज के विभिन्न वर्गों के अनुभव साझा किए जाएँगे और संगठनात्मक एकता पर विचार-विमर्श होगा। छत्तीसगढ़ में संघ की 1855 शाखाएँंसक्रिय हैं।
दिसंबर में होंगे हिंदू सम्मेलन
संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में समाज को और सशक्त बनाने के लिए हिंदू सम्मेलनों की श्रृंखला तय की है। दिसंबर महीने में ये सम्मेलन आरएसएस के 1601 मंडलों और शहरी क्षेत्रों की 666 बस्तियों में आयोजित होंगे। एक मंडल में औसतन 8 से 10 गाँव शामिल हैं, यानी प्रदेश के 19 हजार से अधिक गाँव इस आयोजन से जुड़ेंगे।सम्मेलनों में साधु-संत, सामाजिक नेतृत्वकर्ता और विभिन्न संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज में जागरूकता और संगठन की भावना को और मजबूत करना है।