MP News: CM मोहन यादव आज गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ेंगे 2 चीते, नीमच में होगा सांदीपनि विद्यालय भवन का लोकार्पण

Update: 2025-04-20 02:39 GMT

CM Dr. Mohan Yadav

मध्यप्रदेश। प्रोजेक्ट चीता के लिए आज (20 अप्रैल) बड़ा दिन है। सीएम डॉ. मोहन यादव आज गांधी सागर अभयारण्य में 2 चीते छोड़ेंगे। गांधी सागर अभयारण्य प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान होगा, जहाँ चीतों को बसाया जा रहा है। यह वन्य-जीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। इसके अलावा सीएम मोहन यादव रविवार को ही नीमच में सांदीपनि विद्यालय भवन का लोकार्पण भी करेंगे।

चीता प्रोजेक्ट :

"चीता प्रोजेक्ट" मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को बचाना है। इस परियोजना के तहत मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के साथ अब गांधी सागर अभयारण्य में चीतों का आशियाना बनाया जा रहा है।

प्रदेश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लक्ष्य के तहत दक्षिण अफ्रीका, केन्या और बोत्सवाना से चीते लाकर उन्हें मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाया जा रहा है। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 26 चीते हैं। बोत्सवाना से 8 चीते लाने की योजना है। मई-2025 तक 4 चीते लाये जायेंगे। इसके बाद 4 चीते और लाये जायेंगे। दक्षिण अफ्रीका और केन्या से भी चीते लाने की योजना प्रस्तावित है।

अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिये मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। दोनों राज्य मिलकर अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर बनायेंगे। चीता परियोजना पर 112 करोड़ रुपये व्यय किये जा चुके हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है। भारत और लगभग सम्पूर्ण एशिया महाद्वीप से विलुप्त हो चुके चीतों का पुनर्वास कर राज्य सरकार प्रकृति से प्रगति और प्रगति से प्रकृति के संरक्षण की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है।

गांधी सागर वन्य-जीव अभयारण्य :

गांधी सागर पूर्वी मध्यप्रदेश में स्थित एक वन्य-जीव अभयारण्य है। यह अभयारण्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिले में फैला हुआ है। इस अभयारण्य में सलाई, करधई, धौड़ा, तेंदू, पलाश जैसे पेड़ हैं। यह विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज नाला का हिस्सा है। रॉक सेंटर भी इसी अभयारण्य का हिस्सा है। इस अभयारण्य को वर्ष 1974 में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1984 में अभयारण्य बनाया गया। अभयारण्य में वन शैल चित्रकला स्थलों और चतुर्भुजनाथ मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों के होने से इसका पुरातात्विक और धार्मिक महत्व है। अभयारण्य गाँधी सागर के बैक वाटर के आसपास के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो जंगली कुत्ते, चिंकारा, तेंदुआ, ऊदबिलाव, मगरमच्छ जैसे कुछ दुर्लभ प्रजातियों के लिये जाना जाता है। इसके अलावा यहाँ चित्तीदार हिरण, सांभर, ग्रे लंगूर जैसे जानवर भी पाये जाते हैं।

जावद में महर्षि सांदीपनि विद्यालय भवन का लोकार्पण :

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को नीमच जिले के जावद में महर्षि सांदीपनि विद्यालय भवन का लोकार्पण भी करेंगे। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए वर्ष 2022-23 में सीएम राइज विद्यालय की स्थापना की है, जो अब महर्षि सांदीपनि विद्यालय के नाम से जाने जा रहे हैं।

सांदीपनि विद्यालय परियोजना मध्यप्रदेश शासन की एक महत्वाकांक्षी पहल है जो गरीब वर्ग के विद्यार्थियों को भी विश्व स्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के विज़न के साथ प्रारंभ की गई है। सांदीपनि विद्यालयों में सर्व संसाधन युक्त अधोसंरचना विकसित की गई है। इन विद्यालयों में पूर्ण विकसित स्टीम प्रयोगशाला, वोकेशनल प्रयोगशाला, आईसीटी. प्रयोगशाला, केफेटेरिया, मल्टी परपस कोर्टस, एनसीसी., स्काउट कक्ष, डान्स कक्ष, म्यूजिक कक्ष, स्मार्ट अध्यापन कक्ष, सर्व सुविधायुक्त पुस्तकालय, इन्डोर जिम्नासियम, प्री प्रायमरी कक्षाओं के लिए विशेष प्रकार के कक्ष, फर्नीचर व समस्त प्रकार की खेलकुद की सामग्री आदि की सुविधा प्रदान की गई है। इस विद्यालय में 1 कि.मी. से 15 कि.मी. दूरी से आने वाले बच्चों के लिए परिवहन सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विषयवार शिक्षकों के साथ-साथ संगीत शिक्षक, नृत्य शिक्षक, कम्प्यूटर शिक्षक, खेल शिक्षक, मनोवैज्ञानिक, केरियर काउंसलर आदि भी नियुक्त किये गये है।

प्रथम चरण में नीमच जिले में 4 सांदीपनि विद्यालय प्रारंभ हुए, जिसमें से 2 जावद विधानसभा क्षेत्र जावद तथा सिंगोली में प्रारंभ हुए हैं। द्वितीय चरण में 8 सांदीपनि विद्यालय प्रारंभ हुए जिसमें से 5 जावद विधानसभा क्षेत्र के है। सांदीपनि विद्यालय जावद का भवन 37.11 करोड़ रूपये की लागत से बनकर तैयार है, जिसका मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा लोकार्पण किया जा रहा है। इस विद्यालय में आस-पास के 1700 विद्यार्थी अध्ययन करेंगे।

FAQ

1. सीएम मोहन यादव गांधी सागर अभयारण्य में क्या करने जा रहे हैं?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 20 अप्रैल 2025 को मध्यप्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में 2 चीतों को छोड़ेंगे। यह चीता प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की प्रजाति को पुनर्जनन करना है।

2. गांधी सागर अभयारण्य कहाँ स्थित है और इसका महत्व क्या है?

गांधी सागर अभयारण्य मध्यप्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों में फैला हुआ है। यह 1974 में अधिसूचित और 1984 में अभयारण्य घोषित हुआ। इसमें चतुर्भुज नाला, रॉक सेंटर, और चतुर्भुजनाथ मंदिर जैसे पुरातात्विक और धार्मिक स्थल हैं। यह जंगली कुत्ते, चिंकारा, तेंदुआ, मगरमच्छ जैसे दुर्लभ प्रजातियों का घर है।

3. चीता प्रोजेक्ट क्या है?

चीता प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका लक्ष्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को संरक्षित करना है। इसके तहत कूनो नेशनल पार्क और अब गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को बसाया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका, केन्या, और बोत्सवाना से चीते लाए जा रहे हैं।

4. कूनो नेशनल पार्क में कितने चीते हैं?

वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क, श्योपुर जिले में 26 चीते हैं, जिनमें 12 वयस्क और 14 शावक शामिल हैं।

5. चीता प्रोजेक्ट के लिए कितना खर्च किया गया है?

चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिसमें से 67% राशि मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास के लिए उपयोग की गई है।

6. मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच चीता संरक्षण के लिए क्या योजना है?

मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच एक अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर स्थापित करने की सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है, जो चीतों के लिए एक सुरक्षित और व्यापक आवास प्रदान करेगा।

7. सांदीपनि विद्यालय क्या है?

सांदीपनि विद्यालय मध्यप्रदेश सरकार की एक पहल है, जो गरीब वर्ग के छात्रों को विश्व स्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती है। इन विद्यालयों में स्टीम प्रयोगशाला, वोकेशनल प्रयोगशाला, आईसीटी प्रयोगशाला, और अन्य आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

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