Bhopal 90 Degree Bridge: भोपाल का विचित्र 90 डिग्री एंगल पुल बनाने वाली कंपनी ब्लैक लिस्ट, 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई
Bhopal 90 Degree Bridge : मध्यप्रदेश। भोपाल के 90 डिग्री एंगल के आरओबी निर्माण के मामले में मोहन सरकार ने सख्त एक्शन लिया है। विचित्र पुल बनाने वाली कंपनी ब्लैक लिस्ट कर दी गई है जबकि 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा यह जानकारी दी गई है।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया कि, 'ऐशबाग आरओबी के निर्माण में हुई गंभीर लापरवाही में मैंने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिये थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर PWD के 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई है। दो सीई (चीफ इंजिनियर) सहित सात इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। एक सेवानिवृत एसई के खिलाफ विभागीय जांच की जायेगी।'
'इस प्रोजेक्ट में आरओबी का त्रुटिपूर्ण डिजाईन प्रस्तुत करने पर निर्माण एजेंसी एवं डिजाईन कंसल्टेंट, दोनों को ब्लैक लिस्ट किया गया है। आरओबी में आवश्यक सुधार के लिए कमेटी बनाई गयी है। सुधार के बाद ही आरओबी का लोकार्पण किया जाएगा।'
इन अधिकारियों के खिलाफ हुआ एक्शन :
1. जीपी वर्मा मुख्य अभियंता
2. संजय खंडे मुख्य अभियंता
3. जावेद शकील, कार्यपालन यंत्री
4. शबाना रजक कार्यपालन यंत्री (डिजाइन)
5. सोनल सक्सेना, सहायक यंत्री (डिजाइन)
6. उमाशंकर मिश्रा, उपयंत्री
7. रवि शुक्ला, उपयंत्री
8. एमपी सिंह, सेवानिवृत्त अधीक्षण यंत्री
राजधानी भोपाल में बना 90 डिग्री एंगल वाले ब्रिज पर सीएम मोहन यादव ने बीते दिनों एक बयान दिया था। पिछले कई दिनों से यह ब्रिज सोशल मीडिया में मीम के रूप में वायरल था। मीम वायरल होने के बाद इस मामले पर जांच बैठाई गई।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि, "राजधानी में बना 90 डिग्री एंगल वाला ब्रिज साल 2022 से बन रहा था अभी इसका लोकार्पण भी नहीं हुआ है। यह निर्माणधीन है। ऐसे में जहां कर्व आया है उसको सुधारा जाएगा। मैंने अधिकारियों से कहा है कि, जो भी आपत्ति आई है, उसे ठीक किया जाए। दोषी पर कार्रवाई भी की जाएगी। आगे इससे सबक लेते हुए काम किया जाएगा।"
रेलवे ने दी थी चेतावनी :
भोपाल के "90 डिग्री" रेल ओवरब्रिज के निर्माण मामले में जानकारी सामने आई थी कि, रेलवे द्वारा अजीबोगरीब डिजाइन को लेकर चिंता जताई जा चुकी थी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे ने चेतावनी दी थी कि इस डिज़ाइन की वजह से यात्रियों को पेरशानी होगी और "इंजीनियरों की छवि खराब होगी"।
राजधानी भोपाल के सघन आबादी वाले क्षेत्र ऐशबाग क्षेत्र में 648 मीटर लंबे इस पुल को बनाने में 18 करोड़ रुपये की लागत आई थी। इसका उद्देश्य रेलवे क्रॉसिंग पर होने वाली लंबी देरी को खत्म करना और रोजाना लगभग तीन लाख लोगों के लिए यात्रा के समय को कम करना था।
इस ब्रिज के एक हिस्से का निर्माण लोक निर्माण विभाग कर रहा था, जबकि दूसरे हिस्से का काम रेलवे कर रहा था। लोक निर्माण विभाग ने डिजाइन का आकलन करने, जवाबदेही का मूल्यांकन करने और सुधारात्मक उपायों की सिफारिश करने के लिए दो मुख्य इंजीनियरों और एक कार्यकारी इंजीनियर सहित चार सदस्यीय समिति का गठन किया है।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 4 अप्रैल, 2024 को भारतीय रेलवे के पर्यवेक्षकों की एक टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया जहां पुल बनाया जा रहा था। उस समय, रेलवे द्वारा निर्मित पुल का उप-संरचना तैयार हो चुका था और काम प्रगति पर था।