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कांग्रेस की आंतरिक कलह से मिल सकता है बीजेपी को फायदा

Update: 2018-10-21 08:25 GMT

आईजोल/स्वदेश वेब डेस्क। मिजोरम प्रदेश में लंबे समय से सत्ता का स्वाद चखती आ रही कांग्रेस के लिए यह विधानसभा चुनाव परीक्षा की घड़ी है। एक ओर से वह आंतरिक कलह से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर सत्ता विरोधी लहर से भी उसे पार पाना है। स्थानीय भाजपा नेता भ्रष्टाचार को भी एक बड़ा मुद्दा बता रहे हैं।

हाल ही में कांग्रेस के दो नेताओं ने एकाएक पार्टी को बाय-बाय कर दिया है जिससे चुनाव के मौके पर पार्टी भौचक्की रह गई है। पिछले 15 साल से विधायक रहे और स्वास्थ्य, व्यापार जैसे अहम विभागों का कार्यभार संभालने वाले मंत्री लालरिनलियाना सैलो ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सैलो वही स्वास्थ्य मंत्री हैं जिन्होंने डॉक्टरों के लिए दो साल तक ग्रामीण्‍ा इलाकों में सेवाएं देना अनिवार्य कर दिया था। उनके इस कदम की चारों ओर प्रशंसा भी हुई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वालों के लिए बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं की व्‍यवस्‍था की थी। बताया जा रहा है कि सैला कांग्रेस पार्टी नेतृत्‍व से असंतुष्‍ट थे।

दूसरी ओर, पूर्व मंत्री आर ललजीरलियाना ने भी पार्टी छोड़ दी है। हालांकि बाद में सीएम ललथनहवला ने डैमेज कंट्रोल के लिए दोनों पर आरोप जड़ा कि वे जब मंत्री थे तो भ्रष्ट थे। कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति (डीएसी) द्वारा कारण बताओ नोटिस दिए जाने के बाद उन्हें 17 सितम्बर को ही पार्टी से निकाल दिया गया था।

कांग्रेस के खिलाफ माहौल का सबसे ज्यादा फायदा मिजो नेशनल फ्रंट को मिल सकता है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2013 में उसे सिर्फ 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था। उससे पहले 2008 में उसे केवल 3 सीटें मिली थी। फ्रंट का जलवा उस समय देखने को मिला था जब उसने 2003 के विधानसभा चुनाव में बम्पर जीत हासिल करते हुए 40 में 21 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस बार फ्रंट का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। उसे लग रहा है, वह अपना 2003 वाला प्रदर्शन फिर दोहरा सकता है।

मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथांगा का कहना है कि राज्य में विकास न होने के कारण न तो सड़कों की दशा सुधरी है और न ही खेती का विकास हो पाया है। भाजपा की कोशिश है कि किसी तरह कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दे। चाहे इसके लिए चुनाव परिणाम के बाद मिजो नेशनल फ्रंट के साथ समझौता ही क्यों न करना पड़े। 

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