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भाग -9 / पितृ-पक्ष विशेष : मंत्र जाप का साक्षात उदाहरण महर्षि वाल्मीकि

महिमा तारे

Update: 2020-09-09 21:15 GMT

मंत्र जाप की शक्ति का साक्षात उदाहरण है महर्षि वाल्मीकि। मंत्र जपते जपते मानसिक शक्तियों का नियोजन हो सकता और मानसिक विकारों का भी निराकरण हो सकता है। यह वाल्मीकि जी ने बता दिया और एक साधारण व्यक्ति रत्नाकर, ब्रह्मर्षि वाल्मीकि में रूपांतरित हो सकता है। उसकी समग्र चेतना मंत्र जाप से बदल सकती है।

राम त्वन्नाममहिमा वण्यर्यते

यत्यप्रभावादहं राम ब्राह्मर्षित्वमवाप्तवान।।

अध्यात्म रामायण के अनुसार वाल्मीकि कहते हैं, राम नाम की महिमा को कोई किस प्रकार वर्णन कर सकता है, जिसके प्रभाव से मैंने ब्रह्म ऋषि पद प्राप्त किया है। महर्षि वाल्मीकि आदि कवि हंै। आदि कवि इसलिए कि उन्होंने बिना किसी प्राचीन काव्य को देखें सर्वोत्तम ग्रंथ का निर्माण किया। अत: वे विश्व के समस्त कवियों के गुरु हैं। उनका आदि काव्य श्रीमद् वाल्मीकि रामायण इस धरती का प्रथम काव्य है। भारत के लिए तो यह परिवार समाज और राष्ट्र की आचरण संहिता है। आज हम परिवार प्रबोधन की बात करते हैं, रामायण हमारी मार्गदर्शिका है कि परिवार के साथ साथ मित्र, दास, दासियों, नौकर चाकरों के साथ, यहां तक की शत्रु के साथ कैसा व्यवहार करना है।

आज प्रकृति वंदन की बात चल रही है। रामायण में सीता के अपहरण होने के बाद हम राम का पेड़ पौधों से वार्तालाप करते हुए देखते हैं। वह पेड़ पौधे से सजीव व्यक्ति की तरह ही बात करते हुए दिखाई देते हैं। वहीं समुद्र पर सेतु बांधने से पूर्व समुद्र की पूजा अर्चना को हमने देखा है।

रामायण से हमें वार्तालाप कुशलता, वहीं ज्योतिष, तंत्र आयुर्वेद, शकुन-अपशकुन, स्वप्न आदि शास्त्रों की प्राचीनता का पता चलता है। वाल्मीकि जी ने ज्योतिष के भी प्रमाण दिए हैं। श्रीराम की यात्रा का लेख, मूहूर्त, विचार विभीषण द्वारा लंका के अक्षरों का प्रतिपादन, श्रीराम जब अयोध्या चलते हैं तो नौ गृहों का एकत्र होना, जिससे लंका युद्ध होता है। दशरथ जी का श्री राम से ज्योतिष विषयों द्वारा अपने अनिष्ट फलादेश की बात बतलाना। यह सब ज्योतिष विज्ञान के उनकी जानकारी को दिखाता है। मंदोदरी द्वारा शकुन अपशकुन की बात करना।

दस दिसि दाह होन अति लागा। भयउ परब बिनु रबि उपरागा॥

दसों दिशाओं में गर्मी पडऩे लगी और बिना ही पर्व के सूर्य ग्रहण होने लगा।

फरकेउ बाम नयन उरु बाहु।

बाया नेत्र और बाहु फडक़ने लगे। वहीं त्रिजटा के स्वप्न की सत्यता दिखा कर स्वप्न शास्त्र पर ऋ षि ने अपने अध्ययन को बताया है। वहीं युद्ध कांड के श्लोकों में रावण मरण के समय की ग्रह स्थिति भी ध्यान देने योग्य है, युद्ध कांड में तंत्र शास्त्र की प्रक्रिया है इसमें रावण तथा मेघनाथ को भारी तांत्रिक दिखलाया गया है, मेघनाद की सभी विजय तंत्रमूलक है। रावण भी भारी तांत्रिक है। इस तरह रामायण में ज्योतिष राजनीति, मनोविज्ञान, दार्शनिकता अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आयुर्वेद सबका विस्तृत वर्णन वाल्मीकि जी ने किया है। जो सब समाज रचना के महत्वपूर्ण अंग है।

आज के संदर्भ में हमें यह भी समझने की आवश्यकता है कि हम वाल्मीकि रामायण को पूजा घर में रखते हैं और वाल्मीकि समाज से दूरी। जबकि वाल्मीकि रामायण काल में कितने पूजनीय थे, यह हमने देखा है। समय की आवश्यकता ही नहीं यह अपेक्षित भी है कि हम धर्म ग्रंथों के मूल संदेश को समझें और समाज के साथ भी समरस हों, तभी हम वाल्मीकि की वंदना के अधिकारी होंगे।

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