SDM ने सिविल सर्जन डॉ. वी.के. गुप्ता को लगाई फटकार, चिकित्सकों में पडऩे लगी फूट
ग्वालियर। जिलाधीश अनुराग चौधरी के निर्देश पर अपर कलेक्टर अनूप सिंह के साथ एसडीएम जयति सिंह जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने के लिए गुरुवार को सुबह पहुंचीं। यहां उन्होंने देखा कि निर्देश के बाद भी सिविल सर्जन डॉ. वी.के. गुप्ता ने अस्पताल परिसर में बने रैन बसेरा में मरीजों को स्थानांतरित नहीं किया। इसको लेकर वह गुस्सा हो गईं और फटकार लगाते हुए कहा कि आप कुछ तो करिए। मैं यहां रोज-रोज नहीं आऊंगी। आखिरी बार बता रही हूं। इसी तरह एसडीएम ने अस्पताल परिसर में बनाए जा रहे शव विच्छेदन गृह के निर्माण कार्य को भी देखा। इसके बाद अपर कलेक्टर व एसडीएम सीधे आरएमओ कक्ष में पहुंचे और व्यवस्थाओं को लेकर बैठक ली। बैठक के दौरान एसडीएम किसी बात पर भडक़ गईं और उन्होंने सिविल सर्जन से चिल्लाते हुए कहा कि मैं जो कह रही हूं, उसे सुनो। एसडीएम की तेज आवाज सुनकर कक्ष के बाहर मौजूद अस्पताल के कर्मचारी भी दंग रह गए। इधर सिविल सर्जन का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह से बात नहीं करना चाहिए।
चिकित्सकों में पडऩे लगी फूट
प्रशासन और चिकित्सकों के बीच ताजा कोई विवाद नहीं चल रहा था। किन्तु शासकीय व निजी अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए जा रहे निरीक्षण के विरोध में मेडीकल टीचर्स एसोसिएशन खुलकर सामने आ गया। जिस कारण यह नया विवाद उपजा कि हम प्रशासनिक अधिकारियों को अपना अधिकारी नहीं मानेंगे। हमारा कैडर उनसे ऊंचा है। वहीं संभाग आयुक्त एम.बी. ओझा का स्पष्ट कहना है कि गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के कई चिकित्सकों से बात हुई है, उनकी ओर से किसी ने भी प्रशासनिक अधिकारियों की व्यवस्था का विरोध नहीं किया है। सिर्फ डॉ. अग्रवाल बढ़-चढक़र विरोधी बातें कर रहे हैं, इसलिए हम नियम अनुसार जो भी कार्रवाई होगी, वह करेंगे क्योंकि शासन के नियमों से ऊपर कोई नहीं होता। इस बीच प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ एकजुटता दिखाने वाले चिकित्सकों में अब फूट पडऩे लगी है। जिस तरीके से प्रशासन ने निजी अस्पतालों को लेकर नोटिस जारी किए है और पंजीयन निरस्त किए है, उससे चिकित्सकों में भय पनपने लगा है। यही वजह है कि एक दिन पहले एकजुटता दिखाने वाले कुछ चिकित्सक पीछे हटने लगे हैं। साथ ही जयारोग्य चिकित्सालय समूह के चिकित्सक भी इस मामले से दूर होते दिखाई दे रहे हैं।