राजनीति की चढ़े भेंट
ग्वालियर, न.सं.
मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस सरकार द्वारा नित नए ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, उससे न तो अधिकारी प्रसन्न हैं और न ही जनता के हाथ कुछ लग रहा है। चुनाव के तुरंत बाद ग्वालियर के तत्कालीन जिलाधीश अशोक वर्मा को हटाकर मुरैना के तत्कालीन जिलाधीश भारत यादव को ग्वालियर का जिलाधीश बना दिया गया था। श्री यादव ने 24 दिसम्बर 2018 को यह सोचकर पदभार ग्रहण किया कि नई सरकार ने नई सोच के साथ उन्हें ग्वालियर का जिलाधीश बनाया है। वे अभी ग्वालियर विकास और अन्य व्यवस्थाओं को ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि मंगलवार को दोपहर अचानक एक आदेश प्रदेश शासन द्वारा जारी कर श्री यादव को यहां से चलता कर दिया। अब वे ऊर्जा विकास निगम के प्रबंध संचालक बनाए गए हैं, जबकि ग्वालियर का नया जिलाधीश 2010 बैच के आईएएस अनुराग चौधरी को बनाया गया है। वे सिंगरौली के जिलाधीश हैं और उन्हें पहले प्रबंध संचालक ऊर्जा विकास निगम बनाया जा रहा था। जिलाधीश श्री यादव को इतनी जल्दी क्यों हटाया गया? इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं? जिसमें एक सवाल यह भी है कि उनकी पदस्थापना पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीकियों ने कराई थी, जो सिंधिया समर्थकों को रास नहीं आ रही थी। यद्यपि कहा यह भी जा रहा है कि श्री यादव के नजदीकि रिश्तेदार सपा नेता सांसद चन्द्रप्रताप यादव की वजह से उन्हें हटाया गया है। उधर नवागत जिलाधीश अनुराग चौधरी वर्ष 2012 से 2014 तक 18 माह डबरा एसडीएम रह चुके हैं। इस लिहाज से ग्वालियर उनके लिए अपरिचित नहीं है।