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क्रिएटिव हाउस का प्रचार जोरों पर

Update: 2019-03-05 05:09 GMT

ग्वालियर, न.सं.

म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स के चुनाव में क्रिएटिव हाउस द्वारा व्यापारियों से सीधा संपर्क कर जन समर्थन एवं मत मांगा जा रहा है। इसी कड़ी में उनके प्रत्याशियों द्वारा कई बाजारों में दस्तक दी गई। क्रिएटिव हाउस से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार विजय गोयल पूर्व में चेम्बर के मानसेवी सचिव रह चुके हैं। उनका इस चुनाव में एक ही मूल मंत्र है कि खत्म हो भ्रष्टाचार आसान बने व्यापार। साथ ही जीएसटी की कठिनाईयों को दूर करने चेम्बर भवन में प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी। जिसमें शहर के सी.ए. की भी मदद ली जाएगी। इसी के साथ हाउस में रचनात्मक सोच, रचनात्मक विचार, रचनात्मक कार्य और रचनात्मक लोग की तर्ज पर काम करने का निर्णय लिया है ताकि व्यापारियों और उद्योगपतियों के हितों की रक्षा की जा सके।

भगोड़े दलाल के खिलाफ पहुँचे थाने

दाल बाजार के व्यापारियों का लगभग डेढ़ करोड़ रुपया लेकर फरार हुए संजय सिंघल पुत्र अशोक सिंघल के खिलाफ दाल बाजार के व्यापारी इंदरगंज थाने में आवेदन लेकर पहुँचे। इनके साथ क्रिएटिव हाउस के पदाधिकारी पदों के प्रत्याशी भी थे। संजय के पहले उसका भाई विजय सिंघल भी लाखों रुपए लेकर फरार हो चुका है। जिस पर दाल बाजार के व्यापारियों का विवाद अंबाह के गिरीश जैन से हुआ था।

व्हाइट हाउस के कुछ प्रत्याशी विवादों में

उधर व्हाइट हाउस ने कहने को कुछ नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। लेकिन उनके पूर्व के विवाद और किस्से उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं जिस कारण प्रचार के दौरान कुछ व्यापारी इन प्रत्याशियों से उल्टे यह सवाल पूछ रहे हैं कि आप व्यापारी हो? जिसका जवाब यह नहीं दे पा रहे हैं। इनमें एक प्रत्याशी बेहद हाई प्रोफाइल होने के कारण आम व्यापारियों के लिए अजूबे की तरह दिख रहा है।

सहायक निर्वाचन अधिकारी किसकी सहमति से!

चुनाव के लिए वैसे तो कार्यकारिणी ने अशोक विजयवर्गीय को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। लेकिन बाद में बड़े ही रहस्यमय तरीके से जीवाजी क्लब से जुड़े एक शख्स को सहायक निर्वाचन अधिकारी बना दिया गया। अब यह व्यक्ति एक इशारे पर किसी भी काम को उलट-पुलट कर रहे है। किसी का भी पर्चा निरस्त करना और मंजूर करना इनके दायें हाथ का खेल है। इतना ही नहीं शिवरात्रि की छुट्टी के दिन दो बार चेम्बर कार्यालय खुलवाकर दस्तावेजों की फोटो कॉपी कराकर दूसरी जगह पहुंचाईं गई। जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा जीवाजी क्लब के चुनाव में भी हो चुका है। 

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