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नव संवत्सर पिंगल 22 से, बुध रहेंगे राजा और शुक्र मित्र

शहर में नवसंवतर के स्वागत की जोरदार तैयारी

Update: 2023-03-19 00:30 GMT

ग्वालियर,न.सं.। इस बार नया हिन्दू नववष्र यानि नवसम्बतसर 22 मार्च से शुरु हो रहा है। पिंगल नामक नवसम्वतसर के राजा बुध और शुक्र मंत्री होंगे। 22 मार्च को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा से चैत्रनवरात्र शुरु जाएंगे। शहर में नवरात्र की जोरदार तैयारियां शुरु हो गई है, वहीं नवसम्वतसर के स्वगत में भी शहर में अनेक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। ज्योतिषियों की मानें तो वर्ष प्रतिपदा पर 22 मार्च को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा और मीन राश् िमें पांच ग्रह सूर्य, बुध, गुरु, चन्द्रमा एवं नेपच्यून पंचायत लगाकर बैठे है। इसके साथ ही शुक्र पाप ग्रह राहु के साथ रहेंगे। मंगल इस दिन मिथुन राशि में रहकर शनि से नवम् पंचय योग बनाएंगे। इन ग्रह नक्षत्रों की स्थिति से अबकी बार बनने वाला पिंगल नामक सम्वतसर अर्थव्यवस्था को तो गति देगा, लेकिन कुछ विचित्र तरह की घटनाओं से भी हैरान करेगा। सम्वत का आरंभ चूंकि पंचक में हो रहा है सो यह कई राशि पर भी प्रतिकूल फलदायी रहेगा। कुल मिलाकर सालभर मिले-जुले परिणाम देखने को मिलेंगे। बुध और शुक्र का कृषि, कला, व्यापार, विज्ञान, संगीत, सिनेगा संचार सेवा में आद्यिपत्य होने से इन क्षेत्रों में नई उपलब्धियां भी हासिल होंगी।

बुधादित्य एवं गजकेसरी योग में होगा नवसम्वतसर का शुभारंभ

नवसम्वतसर 2080 में 21 अप्रैल से 28 अक्टूबर तक गुरू तथा राहु दोनों ही मेष राशि में रहेंगे। वर्ष के आरंभ में सूर्य, बुध, गुरू तथा चन्द्रमा की चतुग्र्रही युती रहेगी। गुरू का राशि परिवर्तन लगभग 12 वर्ष के बाद 21 अप्रैल को मीन से मेष राशि में होगा। जो कि इस नवसम्वतसर को खास बनाता है। बुधादित्य और गजकेसरी योग के साथ इस सम्वतसर का शुभारंभ होगा। बुध के राजा होने से किसानों को राहत मिलेगी। कला संस्क्ृति के क्षेत्र में लोगों का वर्चस्व बढ़ेगा। कलाकारों को नए अवसर मिलेंगे।

चैत्र शुल् प्रतिपदा पर ही हुई थी सृष्टि की रचना

पौराणिक मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर ही ब्रहा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन गुड़ी पड़वा मनाई जाती है, लोग गुड़ी की पूजा कर नववर्ष का शुभारंभ करते है। हिन्दू नवसम्वतसर की स्थापना वीर विक्रमादित्य ने की थी, इसीलिए उनके नाम से ही इसे विक्रम नवसम्वतसर कहा जाता है। कुल 60 सम्वतसर होते है। इसमें यह 51वां है। 60 वर्ष का एक युग माना जाता है। इसीलिए हर वर्ष सम्वतसर का नाम बदल जाता है। इस वर्ष सम्वतसर का नाम पिंग है। जिसका अर्थ पीला अथवा भूरा होता है। नाम के हिसाब से पूरे वर्ष गुरु और देवी का वर्चस्व रहेगा। इसीलिए इस वर्ष नारी शक्ति का विभिन्न क्षेत्रों में उत्थान होगा। 

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