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ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव से कम हो रहा कृषि उत्पादन

जीवाजी विवि में लेक्चरर सीरीज का आयोजन

Update: 2018-11-01 05:36 GMT

ग्वालियर। ग्लोबल वॉर्मिग के बढ़ते प्रभाव के कारण कृषि का उत्पादन कम हो रहा है। मीथेन गैस का प्रभाव बढ़ रहा है। युवा आगे आकर फूड प्रोसेसिंग स्टोरेज, पैकेजिंग तथा बायोडिग्रेबल के क्षेत्र में कार्य करके इन सब हानिकारक प्रभाव को कम कर सकते हैं।

यह बात जर्मनी के खाद्य वैज्ञानिक डॉ. वाल्टर ईएल स्पाईसिस ने जीवाजी विवि के सेंटर फॉर फूड डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम लेक्चरर सीरीज में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य वर्धक खाद्य पदार्थ आज के समय में ग्रहण करने व संभावित शोध करने की नितांत आवश्यकता हैं। डॉ. वाल्टन कैंथरीन ने बताया कि हमें कौशल विकास की तरफ बढऩा पड़ेगा। उन्होंने फूड को अर्थशास्त्र से जोड़कर फूड को परिभावित किया। पुनीत डाबर ने कहा कि प्रीजर्ववेटिव का उपयोग फूड में कम से कम किया जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विवि की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने की। इस दौरान जर्मन ईकॉनामिक्स (अर्थशास्त्री) के अध्यक्ष मीना डाबर, भौतिकी, वनस्पति विज्ञान विभाग के शिक्षक व शोधार्थी मौजूद रहे। कुलसचिव प्रो. आनंद मिश्रा ने डॉ. कैथरीन एवं बाहर से आए समस्त अतिथियों का स्वागत किया गया। 

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