अब वक्त है कि हम सिर्फ हिंदू हो जाएं: प्रख्यात कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा से खास बातचीत…
अनुराग उपाध्याय, सीहोर। हम शांति के पक्षधर हैं, लेकिन कमजोर नहीं। पाकिस्तान को इस बार माकूल जवाब मिला है और आगे भी मिलेगा।... अब समय आ गया है एकजुट होने का, सिर्फ़ सनातनी नहीं, सशक्त भी बनने का।
यह कहना है कुबेरेश्वरधाम के पीठाधीश्वर और प्रख्यात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा का, जिन्होंने स्वदेश से विशेष बातचीत में स्पष्ट किया कि भारत की शांति नीति को कोई हमारी कमजोरी न समझे।
पाकिस्तान बाज नहीं आएगा
पं. मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान की आतंकी मानसिकता पुरानी है। वह भारत की स्थिरता भंग करने की कोशिशों से बाज नहीं आएगा। इसलिए भारत को शांति के साथ-साथ हमेशा तैयार भी रहना होगा। हमें अपनी सेना पर गर्व है, जिसने इस बार पाकिस्तान को ऐसा जवाब दिया कि वह थर्रा उठा।
शस्त्र भी, शास्त्र भी
उन्होंने कहा, हमारे देवी-देवताओं के एक हाथ में शास्त्र है, तो दूसरे में शस्त्र। यानी जब जैसी ज़रूरत हो, वैसा जवाब देना ही सनातन की परंपरा है। हम न तो युद्ध के पक्ष में हैं और न ही पलायन के। पं. मिश्रा ने भारत की बेटियों व्योमिका सिंह और सोफिया की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने दिखा दिया कि भारत की सेना कितनी सक्षम है।
अब ब्राह्मण-क्षत्रिय नहीं, सिर्फ़ हिंदू बनिए
जब आतंकवादी मारते हैं, तो न जाति पूछते हैं न वर्ग—सिर्फ़ धर्म देखते हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि हम सब एक होकर सिर्फ़ ‘हिंदू’ हो जाएं। जातिगत पहचान छोड़कर एकजुटता ही शक्ति है।
प्रधानमंत्री ने दिखाई स्पष्टता
पं. मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है—ऑपरेशन सिंदूर स्थगित हुआ है, समाप्त नहीं। अगला हमला युद्ध माना जाएगा। ऐसे समय में देश को मोदी जैसे प्रधानमंत्री की ज़रूरत है, जो सेना को खुली छूट दे और जनता का मनोबल बनाए रखे।
अमित शाह में दिखता है शिव का रूप
कथा में अमित शाह की तुलना भगवान शिव से करने पर उन्होंने कहा—“शाह जी शांत रहते हैं, लेकिन समय आने पर तांडव कर सकते हैं। उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी प्रशंसा की और कहा कि इस संकट काल में उनके निर्णय और संतुलन ने देश की सुरक्षा को मजबूत किया है।
व्यासपीठ से शांति की बात करते हैं, लेकिन...
पं. मिश्रा ने अंत में कहा,हम अध्यात्म और शांति की बात करते हैं, पर जब देश पर संकट आता है तो जवाब देना भी धर्म है। युद्ध की शुरुआत हम नहीं करते, लेकिन उसे खत्म हम ही करते हैं।