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मप्र जन अभियान परिषद को पुनर्जीवित करेगी शिवराज सरकार

सरकार और समाज के बीच इस सेतु को तोडऩा करना चाहती थी कमलनाथ सरकार

Update: 2020-06-05 15:39 GMT

भोपाल, विशेष संवाददाता। शासन और समाज के बीच सामंजस्य की भूमिका में रहकर पर्यावरण संरक्षण और समाजिक जागरुकता के लिए प्रत्यक्ष रूप से काम करने वाली मप्र जन अभियान परिषद की सभी योजनाओं को बंद कर एवं सभी मदों राशि रोककर कमलनाथ सरकार ने इसे बंद करने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन शिवराज सिंह सरकार अब परिषद की सभी बंद हुई योजनाओं को चालू कर इसे पुनर्जीवित करेगी।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन राज्यसभा सांसद स्व. अनिल माधव दवे ने समाज उत्थान और पर्यावरण संरक्षण की जो परिकल्पना तैयार की थी। तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने उसे मप्र जन अभियान परिषद के माध्यम से धरातल पर उतारने का काम किया। सरकार और समाज के के बीच सेतु बने मप्र जन अभियान परिषद के माध्यम से न केवल शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दूर-दराज, गांव-देहात में निवासरत हितग्राहियों तक पहुंचाया जाने लगा, बल्कि प्रदेश के अशिक्षित एवं अल्पशिक्षित वर्ग में समाजिक परिवर्तन दिखाई दिया। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए जहां ग्रामीण समाज जागरुक हुआ, वहीं सामाजिक सहयोग से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई रचनात्मक कार्य हुए। दिसम्बर 2018 में कमलनाथ सरकार के सत्ता में आते ही न केवल परिषद की प्रबंध समिति भंग कर दी, बल्कि परिषद द्वारा संचालित सभी योजनाओं को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया था। अब प्रदेश में फिर से बनी भाजपा सरकार मप्र जन अभियान परिषद की बंद कर दी गईं विभिन्न योजनाओं को पुन: चालू कर इसे पुनर्जीवित करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसके संकेत भी दे चुके हैं।

कमलनाथ सरकार के सत्ता में आते ही कांग्रेसियों ने सबसे पहले मप्र जन अभियान परिषद को ही निशाने पर लिया था। सबसे पहले परिषद द्वारा संचालित सभी योजनाओं पर विराम लगाया गया। वहीं परिषद द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सामुदायिक क्षमता विकास पाठ्यक्रम को छीनकर उच्च शिक्षा विभाग को सौंप दिया गया। परिषद द्वारा नियुक्त उपदेशकों (मेंटर्स) को कार्यमुक्त कर दिया गया। नवांकुर संस्थाएं, प्रस्फुटन समितियां तैयार करने और संस्थाओं को पुरस्कृत करने जैसे विभिन्न मदों की राशि को रोककर सभी योजनाएं बंद कर दी गईं। कांग्रेस की मंशा परिषद को पूरी तरह खत्म करने की थी, इस कारण विकासखंड समन्वयक, जिला समन्वयक और संभागीय समन्वयकों सहित प्रदेशभर से उन 416 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर हटाने का कांगे्रसी प्रयास अंत तक जारी रहा, जो विगत करीब 12 वर्षों से अधिक समय से संविदा पर सरकार को सेवाएं दे रहे थे तथा पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने इन्हें 24 सितम्बर 2018 को नियमित किया था। तत्कालीन कमलनाथ सरकार परिषद में व्यापम के माध्यम से भर्ती हुए 14 कम्प्युटर ऑपरेटरों को भी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के माध्यम से हटाना चाहती थी। मप्र जन अभियान परिषद की आवश्यकता को कांग्रेस सरकार के मंत्रिमण्डल ने इस तर्क के साथ नकार दिया था कि मप्र जन अभियान परिषद और पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन(एप्को) दोनों के उद्देश्य समान हैं। दोनों ही पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्थाएं हैं। इसलिए परिषद की आवश्यकता नहीं हैं। जबकि मप्र जन अभियान परिषद पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्था भी है।

मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद होगा प्रबंध समिति का गठन

वर्तमान में खंडित पड़ी मप्र जन अभियान परिषद की प्रबंध समिति (गवर्निंग बॉडी) का गठन मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद तय माना जा रहा है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही प्रबंध समिति के माध्यम से सभी योजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया और इसे भंग भी कर दिया था। अब प्रबंध समिति ही परिषद की योजनाओं को चालू कर सकेगी तथा इसके बाद ही विभिन्न योजनाओं के लिए बजट स्वीकृत हो सकेगा।

परिषद से छीन विभाग को सौंपा पाठ्यक्रम

मप्र की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा महात्मागांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के सहयोग से विकासखंड स्तर पर मुख्यमंत्री सामुदायिक क्षमता विकास पाठ्यक्रम शुरू किया गया था। सरकार ने समाजसेवियों और संस्थाओं के सहयोग से मेंटर तैयार कर इस पाठ्यक्रम को संचालित किया था, जिसकी जिम्मेदारी मप्र जन अभियान परिषद को सौंपी गई थी। ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुके हजारों युवाओं को इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण एवं समाजिक उत्थान के प्रति स्वयं जागरुक एवं शिक्षित किया गया। सामाजिक नेतृत्व करते हुए गांव-गांव में पहुंचकर ग्रामीणों को इसके लिए जागरुक एवं शिक्षित किया। इसमें एक वर्ष के पाठ्यक्रम में प्रमाण पत्र, दो वर्षीय डिप्लोमा एवं तीन वर्षीय डिग्री दी जाती है। कांग्रेस की सरकार इसे बंद तो नहीं कर सकी, लेकिन इस व्यवस्था को मप्र जन अभियान परिषद से छीनकर मप्र उच्च शिक्षा विभाग को सौंप दिया।

संकटकाल में सरकार की सहयोगी बनी परिषद

* कोरोना संकटकाल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं का वितरण किया।

* घर-घर पहुंचकर कोरोना संक्रमण से बचाव और सुरक्षा के प्रति जन जागरुकता अभियान चलाया।

* तालाबंदी के दौरान बेरोजगार एवं निर्धन परिवारों के बीच पहुंचकर राशन एवं भोजन वितरण किया।

* विभिन्न नवांकुर संस्थाओं, प्रस्फुटन समितियों और संस्थाओं के सहयोग से जन-जागरुकता अभियान चलाए। साथ ही कोरोना के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों को जन-जन तक पहुंचाया।

* जिला प्रशासन के सहयोग से कई शहरों में कोरोना योद्धाओं का सम्मान और उत्साहवर्धन किया गया। दूरदराज गांवों, आदिवासी और पिछड़ी बस्तियों में कोरोना के प्रति जागरुकता अभियान चलाकर इन बस्तियों में नि:शुल्क मास्क, साबुन व सेनीटाईजर वितरण किया।

* विभिन्न जिलों में स्थानीय प्रशासन का सहयोगी बनकर अन्य जिलों व राज्यों की सीमाओं से गुजरने वाले श्रमिक वर्ग की सेवा की एवं कोरोना की जांच में सहयोगी बना।

कांग्रेसियों के निशाने पर थी परिषद

मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने से पहले ही कुछ कांग्रेसियों ने मप्र जन अभियान परिषद को अपना लक्ष्य बनाना शुरू कर दिया था। कुछ समय के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के विशेष कर्तव्स्थ अधिकारी नियुक्त किए गए कांग्रेस उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता और मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने सरकार बनते ही मप्र जन अभियान परिषद को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। तत्कालीन वित्त मंत्री तरुण भानोत और योजना एवं सांख्यिकी विभाग पर दबाव डालकर इसमें गड़बडियां निकालने की कोशिश भी की गई तथा परिषद को भंग करने की सिफारिश भी कराई गई। वहीं तत्कालीन वित्त मंत्री श्री भानोत ने परिषद में अनियमितताएं बताते हुए आर्थिक अपराध शाखा को जांच सौंपने की सिफारिश मुख्यमंत्री से की थी। 

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