राजधानी में 'नानी की हवेली’, सीहोर में 168 शत्रु संपत्तियां: मध्यप्रदेश के 11 जिलों में 583 शत्रु संपत्तियां, अधिकांश पर निजी कब्जे...
भोपाल। भारत-पाकिस्तान विभाजन और युद्ध के समय भारत छोड़कर पाकिस्तान भागे लोगों की संपत्तियों को सरकार ने शत्रु संपत्ति माना है। हालांकि विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आने वाले लोगों को जिन संपत्तियों पर बसाया गया, उन्हें निष्क्रांत (शत्रु संपत्ति) माना गया। मप्र में दोनों प्रकार की कुल 583 शत्रु संपत्तियां हैं।
राजधानी भोपाल में सिर्फ एक 'नानी की हवेली’ को शत्रु संपत्ति माना गया है, जबकि भोपाल से सटे सीहोर में शत्रु संपत्तियों की संख्या मप्र में सबसे ज्यादा 168 है। इसके अलावा मंडला, बैतूल, डिण्डोरी, कटनी और जबलपुर जिलों में भी बड़ी संख्या में शत्रु संपत्तियां मौजूद हैं। ज्यादातर संपत्तियों पर स्थानीय लोगों के कब्जे हैं। शेष जिलों में शत्रु संपत्तियां चिन्ह्ति नहीं की जा सकी हैं।
किस जिले में कितनी शत्रु संपत्तियां
भोपाल जिला - खसरा नं. 1680/1302 रकवा 0.845 नोईयत नजूल भूमि पर 7240 वर्गफीट में 'नानी की हवेली’ स्थित है, जिसे शत्रु संपत्ति माना गया है। वर्तमान में यह शासन के अधिपत्य में है।
सीहोर जिला - सीहोर जिले में और उसकी भेरुंदा, इछावर तहसीलों को मिलाकर कुल 168 शत्रु संपत्तियां हैं। यह संपत्तियां निजी अधिपत्य की हैं तथा मकान, दुकान और खेती के लिए उपयोग की जा रही हैं।
धार जिला - तहसील गंधवानी के ग्राम पांचपिपल्या की भूमि खसरा नं. 173/1, रकवा-15.205 हेक्टेयर, तहसील मनावर के ग्राम बाकानेर में खसरा नं. 471/1 मप्र शासन (आबादी) संपत्ति क्र .201 रकबा 54 वाय 54 वर्गफीट भूमि शत्रु संपत्ति (निष्क्रांत) है तथा शासन के अधिपत्य की है।
खण्डवा जिला - तहसील हरसूद के ग्राम मोही रैयत के खसरा नं. 41 रकबा 0.93 एकड़ भूमि (अब्दुल हक पिता तुर्रेबाज खान) शत्रु संपत्ति घोषित है। पूर्व में संपत्ति केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधिपत्य में थी, वर्ष 2003-04 में इंदिरा सागर परियोजना की डूब में जाने से मप्र नर्मदा घाटी विकास, मप्र शासन के नाम दर्ज है।
जबलपुर जिला - जबलपुर की ग्रामीण तहसील के ग्राम जमुनिया, बरेला, तहसील सिहोरा के ग्राम कोडामपुर, नजूल सिहोरा और तहसील मझांली में धनगवां, खलरी गोरखपुर में कुल 32 सर्वे नंबरों की कुल 26 शत्रु संपत्तियां हैं। अधिकांश संपत्तियां निजी अधिपत्य में हैं। एक संपत्ति पड़ती की, एक पर वन विभाग, सर्वजनिक संरचनाएं एवं निजी मकान हैं। जमुनिया गांव में 5.02 हेक्टेयर भूमि असिंचित एवं रिक्त भी शत्रु संपत्ति में शामिल है।
कटनी जिला - कटनी की बहोरीबंद के ग्राम लखनपुरा, भिड़की,तमुरिया, कदही, भखस्वारा की कुल 49.100 हेक्टेयर रकबे पर 59 एवं शत्रु संपत्तियां निजी अधिपत्य में हैं, जबकि ग्राम विजय राघवगढ़ की कुल 0.186 हेक्टेयर भूमि पर छह संपत्तियां शासन अधिपत्य की हैं।
सिवनी जिला - सिवनी जिले की तहसील घसौर के ग्राम गढ़जमुनिया की कुल 4.08 हेक्टेयर रकवे की कुल 5 संपत्तियां हैं। इनमें अलग-अलग सर्वे की चार संपत्तियों पर निजी कब्जे हैं। एक सर्वे नंबर की भूमि रिक्त है एवं शासन के अधिपत्य में है।
डिण्डौरी जिला - तहसील बजाग के ग्राम गोरखपुर माल में कुल 3.592 हेक्टेयर भूमि पर अलग-अलग सर्वे नंबरों की कुल 63 संपत्तियां हैं, जिन पर निजी कब्जे हैं और लोगों के कच्चे-पक्के मकान बने हैं।
मंडला जिला - जिले की मण्डला तहसील के ग्राम बकोरी, खैरी, बिझिया, लालीपुर और नांदिया और तहसील बिछिया के ग्राम खलौड़ी तथा तहसील नैनपुर के ग्राम नैनपुर, इटका और उमरिया में कुल 163 घोषित शत्रु संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों पर निजी कब्जे हैं तथा मकान एवं खेती मे उपयोग की जा रही है।
बैतूल जिला - जिले में कुल 86 शत्रु संपत्तियां हैं। जिले की बिचोली तहसील के ग्राम चिरापाटला में वर्ष 1972-73 में 18.145 हेक्टेयर, वर्ष 1973-74 में 19.346 हेक्टेयर भूमि बढ़ाकर कुल 37.491 हेक्टेयर भूमि शत्रु संपत्ति घोषित की गई थी। 8.508 हेक्टेयर भूमि सीलिंग में ली गई तथा शासन द्वारा पट्टे पर वितरित की गई है। 28.983 हेक्टेयर भूमि मो. सिराज उल इस्लाम वल्द करीम मुसलमान के नाम दर्ज रही।
हरदा जिला - जिले के अनुभाग खिरकिया में भूमि खसरा नं. 190 रकवा 0.0810 हेक्टेयर और भूमि खसरा नं. 198 रकबा 0.6530 हेक्टेयर जो राजस्व अभिलेख में शेख परी दत्ता पिता शेख कुतुबुद्दीन मुसलमान और अहमद हुसैन पिता शेख पीर दत्ता पता पाकिस्तान के नाम दर्ज है। शेष जिलों में संपत्तियां निरंक बताई गई है।
निष्क्रांत और शत्रु संपत्ति में अंतर
निष्क्रांत संपत्ति: देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान जाने वालों की संपत्तियां इसके अंतर्गत आती हैं। इन संपत्तियों को पाकिस्तान से आए लोगों को आवंटित किया गया था। केंद्र ने 1954 में विस्थापित व्यक्ति प्रतिकर एवं पुनर्वास अधिनियम बनाया। इसके तहत ऐसी संपत्तियों के संबंध में निर्णय लिए जाते हैं।
शत्रु संपत्ति: भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय देश छोड़कर जाने वाले लोगों की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति माना गया।