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नियमों के दायरे में रेत ठेकेदारों को मिली राहत

पंचायतों के शेष बचे भण्डारण के लिए ही मान्य होंगी अंतरित पर्यावरणीय स्वीकृति

Update: 2020-06-02 11:32 GMT

भोपाल/विनोद दुबे। नदियों से रेत खनन के लिए ठेकेदारों द्वारा पंचायतों से अंतरित कराई गईं पर्यावरणीय स्वीकृति (ईसी)को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सोमवार को स्वीकृति तो दे दी। लेकिन इस शर्त पर कि रेत ठेकेदार इस वर्ष सिर्फ पंचायतों के बचे हुए रेत भण्डार को ही उठा सकेंगे, इस भण्डारण से अधिक रेत उठाई तो यह एनजीटी के आदेश की आवहेलना होगी।

उल्लेखनीय है कि मप्र में रेत खनन के नए ठेकों को पंचायतों से अंतरित पर्यावरणीय स्वीकृति पर संचालित किए जाने को लेकर 'ग्रीन एण्ड ग्रीन लॉवर्स' की ओर से एनजीटी में याचिका लगाई गई थी। एनजीटी ने इसे स्वीकार करते हुए विगत 11 मई को मप्र में पंचायतों की अंतरित पर्यावरणीय स्वीकृति से रेत खनन पर रोक लगा दी थी। इसकी अगली सुनवाई सोमवार, 1 जून को हुई। याचिकाकर्ता अभिभाषक सचिन कुमार वर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए अधिकरण न्यायालय को बताया कि चूंकि पंचायतों को जो पर्यावरणीय अनुमतियां जारी हुई थीं, उनकी खनन सीमा बहुत कम थी, जबकि ठेकेदारों को उस मात्रा से अधिक रेत खनन के ठेके दिए गए हैं। अगर पंचायतों की अंतरित ईसी की शर्तों पर उस मात्रा से अधिक रेत खनन किया जाएगा तो इससे अधिक पर्यावरणीय प्रदूषण होगा। इसलिए पंचायतों की अंतरित ईसी यहां स्वीकृत नहीं की जानी चाहिए।

निदेशालय भू-विज्ञान एवं खान (मप्र शासन) की ओर से पैरवी करते हुए अभिभाषक ओमशंकर श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि रेत ठेकों के अनुबंध में ठेकेदारों को पंचायतों से अधिक रेत खनन की अनुमति नहीं दी गई है। इस कारण नियमानुसार अंतरित पर्यावरणीय अनुमति पर उन्हें रेत खनन की अनुमति दिया जाना अनुचित नहीं है। याचिकाकर्ता अभिभाषक श्री वर्मा ने इस बीच स्पष्ट किया कि ठेका अनुबंधों से पूर्व पंचायतें भी इस वर्ष के निर्धारित भण्डार में से रेत उठा चुकी हैं। इस कारण पंचायतों से अंतरित ईसी पर ठेकेदार इस वर्ष सिर्फ उतना ही रेत भण्डारण उठा सकते हैं, जितना पंचायतों द्वारा उठाने के बाद शेष बचा है। इससे अधिक रेत खनन के लिए उन्हें फ्रेश ईसी लेनी ही पड़ेगी। शासन की ओर से यह स्वीकार किया गया कि पंचायतों के लिए निर्धारित भण्डारण से अधिक रेत की मात्रा ठेकेदार नहीं उठाएंगे। शासन और खनिज निगम की ओर से मिले इस आश्वासन पर याचिककर्ता अभिभाषक भी सहमत हो गए कि अगर निर्धारित मात्रा से अधिक रेत खनन इस वर्ष नहीं होता है तो उन्हें अंतरित ईसी पर खनन अनुमति दी जानी चाहिए। इसके बाद दोनों पक्षों की सहमति के बाद अधिकरण न्यायालय ने ठेकेदारों को पंचायतों की अंतरित पर्यावरणीय स्वीकृति पर रेत खनन की अनुमति दे दी। शासन की ओर से पक्ष रखने वाले अभिभाषकों में वरिष्ठ अभिभाषक पिनाकी मिश्रा, श्रेयश धर्माधिकारी, मयंक पाण्डे, सुश्री रुकमणी बोबड़े भी शामिल रहे।

अगले वर्ष लेनी ही होगी नई अनुमति

मप्र के 38 में से 32 रेत ठेकेदार ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक शासन से रेत खनन की अनुमति नहीं मिल सकी है। अंतरित पर्यावरणीय अनुमति पर इस वर्ष इन्हें खनन की अनुमति मिल भी जाएगी तो भी अधिकृत रूप से इस माह कुल 10 दिन ही रेत खनन कर पाएंगे। 15 जून से 30 सितम्बर तक नदियों से रेत खनन पर रोक लग जाएगी। इस तरह इस वर्ष ठेकेदार कुछ दिन ही रेत खनन कर सकेंगे, जबकि अगले वर्ष ठेका संचालित करने के लिए इन्हें ठेके की बढ़ी हुई 10 प्रतिशत राशि जमा करनी ही पड़ेगी। चूंकि पर्यावरणीय स्वीकृति सात वर्ष के लिए होती है, जिसे समान मात्रा खनन के लिए अंतरित किया जा सकता है। इनमें कुछ अनुमतियों के सात वर्ष जून में तो कुछ के दिसम्बर में पूरे हो रहे हैं। इस कारण अगले वर्ष के लिए इन्हें हर हाल में नई (फ्रेश) पर्यावरणीय अनुमति लेनी ही पड़ेगी।   

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