नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि पुरानी मान्यताएं आड़े नहीं चाहिए।
केरल में सबरीमाला मंदिर पत्थनमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाट की पहाड़ी पर स्थित है। सबरीमाला मंदिर प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 10 से 50 वर्ष की आयु तक की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए प्रतिबंध लगाया था। इसके पीछे तर्क दिया था कि मासिक धर्म के समय वे शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं।
हम आपको बता दे की महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं। एक तरफ, महिलाओं को देवी के रूप में पूजा की जाती है, लेकिन दूसरी ओर प्रतिबंध हैं। केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध पर सीजेआई दीपक मिश्रा को ईश्वर के साथ संबंध जैविक या शारीरिक कारकों द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
वहीं दूसरा पक्ष सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग कर रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय बेंच में पहुंचा था। अगस्त में पूरी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया था। और सुप्री म कोर्ट से महिलाअों के प्रवेश को अनुमति दे दी।
Women no way inferior to men. On one hand, women are worshipped as Goddesses, but there are restrictions on the other hand. Relationship with God can't be defined by biological or physiological factors: CJI Dipak Misra on the ban on entry of women in Kerala's Sabarimala temple. pic.twitter.com/DfwZR9xsan
— ANI (@ANI) September 28, 2018