फिर से हिन्दू महिला की उसके मुस्लिम प्रेमी ने की हत्या: पति का घर छोड़कर आजादी की कीमत जान देकर चुकाती महिलाएं?
कथित प्यार और आज़ादी के नाम पर हिन्दू महिलाओं की हत्या के बढ़ते मामले। लिव-इन, विवाह त्याग और उनके भयावह परिणामों पर गंभीर विश्लेषण।
सोनाली मिश्रा
आजादी का एक बहुत सुंदर सपना महिलाओं की आँखों में बुना जाता है। यह सपना बहुत ही प्यारा होता है और यह सपना बताता है कि जीवन का अर्थ केवल प्यार ही प्यार है! और प्यार भी ऐसा कि कभी भी हो जाए? प्यार ऐसा कि वह विवाह आदि की कोई सीमा न माने? प्यार ऐसा कि जो तोड़ दे हर दीवार और फिर विवाह की दीवार तो सबसे ही पहले। पर इस दीवार को तोड़कर आखिर मिलता क्या है यह भी एक प्रश्न है और दुर्भाग्य की बात यही है कि इसका उत्तर जानते हुए भी लोग ऐसी महिलाएं आजादी की झूठी डोर पकड़ कर अपनी ज़िंदगी की डोर को तोड़ डालती हैं।
सहारनपुर की उमा की हत्या और गला काटकर फेंकना
अभी हाल ही में मीडिया में यह खबर आम है कि हिन्दू प्रेमिका की हत्या करके सिर काटकर फेंक दिया और खुद निकाह करने के लिए चला गया। उमा की शादी पहले हो चुकी थी और वह शादी भी आजादी की ही चरम सीमा थी, क्योंकि वह भी उसने मंडप से भागकर की थी। उमा के घरवाले एक अच्छे परिवार में उसकी शादी करना चाहते थे, मगर उमा को जॉनी से प्यार था तो वह मंडप से भाग गई थी। उसके बाद उन दोनों के एक बेटा भी हुआ। मगर उसने जॉनी से भी तलाक ले लिया था। और फिर पिछले दो सालों से वह बिलाल के साथ लिव इन में थी और अब वह निकाह करना चाहती थी। मगर बिलाल इस निकाह के लिए तैयार न था और फिर उसने अवसर देखकर उमा की हत्या कर दी, सिर काटकर फेंक दिया और खुद अपने और बहन के निकाह की तैयारी में इस तरह मगन हो गया, जैसे कि कुछ हुआ ही न हो।
उमा को संबंधों की आजादी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मगर उमा अकेली नहीं है, इस आजादी की पीड़िताओं की कहानी विविध आयामों की हैं पिछले दिनों छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक समाचार आया था। समाचार का शीर्षक था कि सौतेले पिता की पिटाई से ढाई साल के बच्चे की मौत। पिता कैसे सौतेला हो सकता है, यह समझ नहीं आता! परंतु पिता का सौतेला हो जाना या सौतेले पिता का होना, दो अलग-अलग बिन्दु हो सकते हैं। जब पिता बेरुखा व्यवहार करे तो वह सौतेला व्यवहार हो सकता है, परंतु जब माँ ही अपने बच्चे को लेकर दूसरे व्यक्ति के साथ आ जाए तो सौतेला पिता होता है। रेशमा ताम्रकार का विवाह शत्रुघ्न सेन से हुआ था। दोनों में नहीं बनी और शीघ्र ही वे अलग हो गए, और उनके अलग होने के साथ ही उनके बेटे के भविष्य पर काले बादल छा गए थे। रेशमा को फिर आकिब से प्यार हो गया, मगर आकिब को ढाई साल के बेटे प्रशांत से प्यार न हो सका। उसके प्यार में इतनी आजादी नहीं थी, कि वह प्रशांत को अपना पाता और फिर एक दिन उसकी पिटाई से वह बच्चा चल बसा।
बिजनौर की कोमल: पति और बच्चों को छोड़ा और पिटाई चुनी
14 दिसंबर को यूपी तक के पोर्टल पर प्रियंका नामक युवती का एक वीडियो वायरल हुआ। उसमें एक युवती यह कह rही थी कि उसका नाम प्रियंका है. वह कह रही है कि “मैं शादीशुदा थी. मेरे बच्चे भी थे. तभी मेरी जिंदगी में मुस्लिम युवक आ गया. फिर मेरी जिंदगी बदल गई और उसका ऐसा मांइड वॉश किया गया कि उसे कुछ समझ ही नहीं आया और उसने मुझे अपने घर-परिवार और बच्चों तक से दूर कर दिया.” और उसमें वह कह रही है कि अब वह युवक उसे बहुत बुरी तरह से मारता है और मारते-मारते उसका मुंह तक सुजा दिया है। उसके हाथ पैरों में दर्द है और उसका यह भी कहना था कि वह मुस्लिम युवक उससे यह भी कहता है कि वह उसे मारकर उसके शव के टुकड़े करके ब्रीफकेस में पैक करेगा!
मार्च में बिहार के समस्तीपुर में रिंकी की कहानी भी अलग नहीं थी
मार्च 2025 मे बिहार के समस्तीपुर की रिंकी देवी को उसके शौहर ने चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था। रिंकी देवी के अनुसार उसकी शादी 2015 में असीनपुर के संतोष कुमार सिंह से हुई थी और उनके दो बेटे हुए, जो 7 और 9 साल के हैं। रिंकी देवी ने जीविका के साथ काम करना आरंभ किया तो उसके अनुसार उसके पति को पसंद नहीं आया और दोनों में झगड़े होने लगे। उसके बाद वर्ष 2018 में उसकी मुलाकात आँसार सिद्दीकी से हुई और जब उसने बताया कि उसका पति उसे कितना प्रताड़ित करता है तो सिद्दीकी ने उसे अपने साथ निकाह करने के लिए कहा। रिंकी देवी ने संतोष को छोड़कर अंसार सिद्दीकी के साथ रहना चुना और वह जयपुर काम के लिए गया। जब वह रिंकी को लेकर मार्च में जयपुर जाने लगा तो उसने उसे ट्रेन से धक्का दे दिया।
भास्कर के अनुसार रिंकी देवी ने कहा था कि पहले उसे लगा था कि सिद्दीकी उसे अपना लेगा, इसलिए उसने शिकायत नहीं की थी, मगर अब वह करेगी। उसने शिकायत दर्ज की या नहीं, या फिर क्या हुआ, उसके विषय में कोई नया समाचार नहीं है। बरेली में जुलाई 2025 में प्रेमी के साथ रह रही चार माह की गर्भवती हिंदू महिला की गला दबाकर हत्या उसके मुस्लिम प्रेमी ने कर दी थी और उसके शव के पास उसका चार साल का बच्चा बैठकर रो रहा था। ऐसी एक नहीं तमाम घटनाएं हैं। नवंबर 2025 में ही कानपुर में 4 दिन से बंद घर में हिन्दू महिला का सड़ा हुआ शव मिला था। वह 8 सालों से मुस्लिम युवक के साथ लिव इन में थी। मगर ऐसी घटनाएं दिल को झकझोरती हैं। वे यह प्रश्न पैदा करती हैं कि आजादी की यह कैसी जिद्द है जो इस तरह मरने के लिए प्रस्तुत कर देती है?
और नेट को खंगालते हैं तो तमाम घटनाएं सामने आती हैं। ऐसी ही एक घटना दिल को उद्वेलित करती है। यह घटना बैंगलुरु की थी और वर्ष 2022 की। इसमें एक विवाहित महिला के पति ने शिकायत की थी। उसकी पत्नी की मुलाकात इंस्टाग्राम पर इरशाद हुसैन से हुई थी। महिला पुणे की थी। उसपर इश्क का रंग ऐसा चढ़ा कि वह अपने चार साल के बेटे को लेकर आई और उसे बेंगलुरु रेलवे स्टेशन पर छोड़ मुस्लिम प्रेमी के साथ गदरपुर आ गई। ये तमाम खबरें एक ऐसे विचलन को दिखाती हैं, जो लगातार ही कथित आजादी के नाम पर हो रहा है। इस विचलन का मूल्य कभी वह महिला, कभी उसके बच्चे तो कभी उसका पति चुकाते हैं। परंतु सत्य कहा जाए तो इसका मूल्य परिवार, समाज और देश चुकाते हैं। परिवार से उसके सदस्य, उसकी पहचान और पीढ़ियों में हस्तांतरित होने वाली विरासत छिनती है, और समाज और देश से उसकी धरोहरें! और ये सब होता है कथित प्यार और आजादी के नाम पर! समय या गया है कि इस कथित प्यार और आजादी पर ठहर कर सोचा जाए और समझा जाए कि कथित प्यार और देह की आजादी की आंधी सुरंग केवल विनाश की ओर ही लेकर जाती है।
लेखिका - सोनाली मिश्रा