जनसंख्या नियंत्रण मानव हित में, मीडिया को निभानी होगी बड़ी भूमिका - इन्द्रेश कुमार

तीन दिवसीय मीडिया चौपाल का दूसरा दिन सफलतापूर्वक सम्पन्न

Update: 2022-12-03 21:36 GMT

"मध्य एशिया में जितने भी 'स्तान' हैं, प्राचीन समय से भारत के ही अंग रहे हैं" - प्रोफेसर कुसुमलता केडिया

चंडीगढ़। एनआईटीटीटीआर-चंडीगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय मीडिया चौपाल के दूसरे दिन मुख्त वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार शामिल हुए। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के अध्यक्ष ले.जे. (सेवानिवृत्त) राजनंदन सिंह ने की। जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे मुख्य-अभ्यागत के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के उपाध्यक्ष ले. जे. केजे सिंह और प्रोफेसर केजी सुरेश विशेष अतिथियों के रूप में उपस्थित रहे।


कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय सचिव राजकिशोर प्रजापति ने स्वागत भाषण दिया और सत्र का विषय प्रवर्तन प्रोफेसर रामेश्वर मिश्र पंकज ने किया। एनआईटीटीटीआर के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर बीएस पाबला ने आयोजन में संस्थान की भूमिका बताते हुए सबका धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. आनंद पाटील ने कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन और आशुतोष सिंह ने सह-संयोजन किया।

इस अवसर पर बोलते हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि "सेल्फ, सेल्फी और सेल्फिश पत्रकारिता के दौर में जो प्रयास मीडिया चौपाल ने किया है, वह महत्वपूर्ण है। सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों पर जो समुद्र मंथन यहाँ चल रहा है, वह अवश्य ही अमृतकाल में भारत अभ्युदय को लेकर हमें संकल्पित करेगा।" उन्होंने कहा कि "यह भारत के अभ्युदय का अमृतकाल है। यह तकनीक का दशक भी है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए हमें गौरव के साथ अपनी संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।"

राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ले.जे. (सेवानिवृत्त) राजनंदन सिंह ने मीडिया की भूमिका के सम्बन्ध को रेखांकित करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान अपने अनुभव साझा किये।

इस दौरान सभा को सम्बोधित करते हुए इन्द्रेश कुमार ने कहा कि "हमें सोचना होगा कि असत्य और भ्रम विज्ञान नहीं है। वैश्विक सत्य ज्ञान, विज्ञान के चरित्र के रूप में नज़र आता है। ईश्वर सपनों में प्रतिदिन हमें 'नॉक' करता है और हमें बताता है कि तुम हिन्दुस्तानी थे, हो और आगे भी रहोगे।" उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि "अगर देश के सभी हिस्सों के लोगों का एक ग्रुप फोटो प्रदर्शित किया जाये तो उनकी पहचान किसी जाति, धर्म, गरीब, अमीर के तौर पर नहीं की जा सकेगी। सभी को एक हिन्दुस्तानी के तौर पर ही पहचाना जाएगा। हमें ईष्या और नफरत की जगह मुस्कराहट को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। अगर चंद क्षण मुस्कुराने से फोटो बहुत सुंदर आ सकती है, तो सोचिए कि हमेशा मुस्कराते रहने से जीवन कितना सुंदर होगा।" उन्होंने कहा कि "भारत को समझने की जरुरत है। जनसंख्या नियंत्रण मानव हित में है और जो इसका विरोध करते हैं, वे मानवता विरोधी ही कहे जायेंगे।"


इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ले.जे. (सेवानिवृत्त) राजनंदन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ले. जे. केजे सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश और एनआईटीटीटीआर के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर बीएस पाबला ने मेजर सरस चन्द्र त्रिपाठी और डॉ. आनंद पाटील द्वारा लिखित पुस्तक 'मौन संविधान : भयानक परिणाम' का लोकार्पण भी किया। विदित हो कि यह पुस्तक अंग्रेजी और हिन्दी दोनों ही भाषाओं में प्रकाशित है। मेजर सरस त्रिपाठी ने पुस्तक के सम्बन्ध में कहा कि "यह पुस्तक भारतीय जनमानस की आकाक्षांओं का प्रतिबिम्ब है और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है।"

विदित हो कि मीडिया चौपाल के दूसरे दिन की शुरुआत परिचर्चा से हुई, जिसमें इस चौपाल में शामिल सभी सदस्यों ने आपसी संवाद स्थापित किया। इस परिचर्चा का संयोजन हर्षवर्धन त्रिपाठी ने किया। डॉ. आनंद पाटील ने इस चौपाल के स्वरूप एवं विस्तार को लद्दाख से लक्षद्वीप तक वाला बताया। ध्यातव्य है कि इस चौपाल में लगभग सभी राज्यों के 500 शिक्षाविद, संचारविद, मीडियाकर्मी, संचारक, शोधार्थी इत्यादि शामिल हैं।

दूसरे दिन के पहले चर्चा सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखिका प्रो. कुसुमलता केडिया ने की। वहीं, विषय प्रवर्तन लेखक आशीष कौल ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर कुसुमलता केडिया ने कहा कि "शासक लिंगवाची शब्द नहीं है अथवा उन्हें लिंग के आधार पर नहीं पहचनना चाहिए। बल्कि शासक के तौर पर ही जानना-पहचानना चाहिए। भारतवर्ष जो कि हमारा राष्ट्र है, एशिया माइनर से लेकर सुदूर प्रशांत महासागर तक फैला हुआ था, है और रहेगा। मध्य एशिया में जितने भी 'स्तान' हैं, प्राचीन समय से भारत के ही अंग रहे हैं।"

चर्चा सत्र में वक्ता के तौर पर साइको वार फेयर विशेषज्ञ डॉ. वर्णिका, लेखक एवं प्रशासनिक अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ले.जे. (से.नि.) कमल जीत सिंह शामिल हुए। मंच संचालन ऋषभ कृष्ण तथा प्रणव सिरोही ने किया।

दूसरे चर्चा सत्र की अध्यक्षता राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व-अध्यक्ष जसबीर सिंह ने किया। इस सत्र का विषय प्रवर्तन अनुराग सक्सेना ने किया। मंच संचालन पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने किया और सत्र का संयोजन डॉ. आनंद पाटील एवं रामांशी मिश्रा ने किया।

दूसरे दिन के सभी सत्रों का समापन सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य, गीत-संगीत और कविता पाठ का आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक संध्या में विजया भारती, अंकित सिंह विष्णु तथा अमित त्यागी ने अपनी कला से समा बांधा। विदित हो कि यह चौपाल 4 दिसम्बर तक जारी रहेगा।

मीडिया टीम – मीडिया चौपाल

डॉ. आनंद पाटील – 9486037432

श्री आशुतोष सिंह – 9891228151

सुश्री चन्द्रकान्ता – 8920517442

सुश्री हर्षिता – 8804970733

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