अब हमे आत्मनिर्भर का मतलब समझना होगा

Update: 2020-05-13 14:30 GMT

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती शाम राष्ट्र को संबोधित किया था। इस दौरान पीएम मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही थी। आज वित्त मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विशेष आर्थिक पैकेज के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब ये नहीं कि भारत समूचे विश्व से अलग हो जाए। पूरे विश्व में कोरोना के संक्रमण से जूझ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है लेकिन उसके बावजूद भारत पूरे विश्व की मदद कर रहा है।

मोदी के भाषण 3 के अहम प्वाइंट

- ''मैंने अपनी आंखों के साथ कच्छ भूकंप के दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सबकुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छ मौत की चादर ओढ़ कर सो गया था। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालत बदल पाएगी। लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ। कच्छ बढ़ चला। यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी है, राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना।''

-''भारत आत्मनिर्भर बन सकता है। यह भव्य इमारत पांच पिलर्स पर खड़ी है। पहला पिलर- इकोनॉमी। एक ऐसी इकोनॉमी जो इन्क्रीमेंटल चेंज नहीं, बल्कि क्वांटम जम्प लाए। दूसरा पिलर- इन्फ्रास्ट्रक्चर। एक ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- सिस्टम। ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति नहीं, बल्कि 21वीं शताब्दी की टेक्नोलॉजी ड्रिवन व्यवस्था पर आधारित हो। चौथा पिलर- डेमोग्राफी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की डेमोग्राफी आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पांचवां पिलर- डिमांड। इसका चक्र और इसकी ताकत का इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।''

-''देश में डिमांड बढ़ाने और इसे पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेकहोल्डर का सशक्त होना जरूरी है। हमारी सप्लाई चेन को हम मजबूत करेंगे, जिसमें मेरे देश की मिट्‌टी की महक हो। हमारे मजदूरों के पसीने की खुशबू हो। कोरोना संकट का सामना करते हुए नए संकल्प के साथ मैं आज 20 लाख करोड़ रुपए के एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। यह आर्थिक पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा।''

कोरोना वायरस का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं मिल रहा है। अभी भी विश्व के तमाम देश कोरोना के लिए वैक्सीन बना रहे हैं। लेकिन भारत की एक दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ने काफी हद तक असर दिखाया है। पूरे विश्व में ही इस दवा की मांग थी और भारत ने फर्ज निभाते हुए लगभग 55 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पहुंचाकर वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है। इससे पहले भारत अमेरिका, मॉरीशस जैसे देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेज चुका था।

सूत्रों ने बताया कि भारत इन पड़ोसी देशों के अलावा जिन देशों को दवा भेज रहा है, उनमें जांबिया, डोमिनिकन रिपब्लिक, मेडागास्कर, युगांडा, बुर्कीना फासो, नाइजर, माली कॉन्गो, मिस्र, अर्मेनिया, कजाखिस्तान, इक्वाडोर, जमैका, सीरिया, यूक्रेन, चाड, जिंबाब्वे, फ्रांस, जॉर्डन, केन्या, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान और पेरू शामिल हैं। साथ ही, फिलिपींस, रूस, स्लोवानिया, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) उज्बेकिस्तान, उरुग्वे, कोलंबिया, अल्जीरिया बहामास और यूनाइटेड किंगडम (यूके) को भी मलेरिया रोधी टैबलेट भेजा जा रहा है।

पूरा विश्व भारत की इस 'वसुधैव कुटुम्बकम' सोच की तारीफ कर रहा है। इस संकट के समय भारत ने संकट से जूझते हुए भी दूसरे देशों की मदद करना नहीं छोड़ा। दरअसल, पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन में आत्मनिर्भर शब्द का खूब प्रयोग किया। उन्होंने आवाह्नन किया है भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।

पीएम मोदी ने कहा था कि हम पिछली शताब्दी से ही सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है। हमें कोरोना से पहले की दुनिया को, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका मिला है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। उन्होंन कहा, 'जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका मार्ग क्या हो? विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत"। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- एष: पंथा: यानि यही रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत।'

पीएम ने कहा, 'एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात रखूंगा। जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए, क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि, आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली है।"

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