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अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर रोक

Update: 2019-03-19 18:12 GMT

कमलनाथ सरकार को उच्च न्यायालय का झटका

जबलपुर/स्व.स.से.। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग के लिए 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई में मंगलवार को आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने इस मामले में रोक लगाने के साथ अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर एस झा तथा न्यायाधीश संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जबलपुर निवासी अर्पिता दुबे, भोपाल निवासी सुमन सिंह एवं एक अन्य की तरफ से याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि वह नीट परीक्षा 2019 में शामिल हुई थी और अगले सप्ताह से उनकी काउंसिलिंग शुरू होने वाली है। प्रदेश सरकार ने 8 मार्च 2019 को अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण संबंधित एक अध्यादेश जारी किया है। जिसके अनुसार, पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण में बढ़ोतरी को असंवैधानिक बताते हुए उक्त याचिकाएं दायर की गई थी।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि वर्तमान में अजा वर्ग के लिए 16 प्रतिशत तथा अजजा वर्ग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण है। ओबीसी वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण था, जिसे प्रदेश सरकार ने बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। इस प्रकार कुल आरक्षण को प्रतिशत 63 प्रतिशत पहुंच जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने युगलपीठ को बताया कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। याचिका में चिकित्सा शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव तथा संचालक को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाए जाने के आदेश पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

आठ मार्च को जारी किया था अध्यादेश

प्रदेश सरकार ने 8 मार्च को अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण संबंधित एक अध्यादेश जारी किया है। जिसके अनुसार पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण में बढ़ोतरी को असंवैधानिक बताते हुए याचिकाएं दायर की गयी थीं।

ओबीसी आरक्षण के प्रति सरकार वचनबद्ध


मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट के निर्णय को लेकर विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जाएगी। सात दिन की समयसीमा में जवाब पेश किया जाएगा। तमिलनाडु में भी 50 फीसदी के ऊपर आरक्षण है। मप्र की राज्य सरकार ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के प्रति वचनबद्ध है। 

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